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जावेद अख्तर बोले- नास्तिक होकर भी मुस्लिम होना मजबूरी है, बताया क्यों नहीं बन सकते हिंदू...

  • जावेद अख्तर का कहना है कि उनको हिंदू-मुस्लिम दोनों तरफ के लोग ट्रोल करते हैं जबकि वह नास्तिक हैं। वह ट्रोलिंग को सीरियसली नहीं लेते, बताया कि कुछ मुस्लिम तो उनका नाम बदल चुके हैं।

Kajal Sharma लाइव हिन्दुस्तानMon, 18 March 2024 02:00 PM
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जावेद अख्तर सभी त्योहार मनाते हैं लेकिन किसी धर्म में आस्था नहीं रखते। वह खुद को नास्तिक मानते हैं। उनका कहना है कि उन्हें हिंदू और मुस्लिम दोनों मतों के मानने वाले कुछ लोग ट्रोल करते हैं। इतना ही नहीं मुस्लिम एक्सट्रीमिस्ट ने उनका नाम अमर रख दिया था वहीं हिंदू उन्हें जिहादी बोलते हैं। जावेद अख्तर ने बताया कि वह चाहकर भी अपना धर्म क्यों नहीं बदल सकते।

बोले- लोग जिहादी बोलते हैं

जावेद अख्तर ने मोजो स्टोरी के लिए बरखा दत्त से दिल खोलकर बात की। बरखा ने जावेद से पूछा कि सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाना आम बात है। सबसे फनी चीज उन्होंने अपने बारे में क्या सुनी? इस पर जावेद बोले, मुझे जिहादी कहा गया। जबकि मैं नास्तिक हूं। मुझे तो ऐसे लोगों से 3-4 बार पुलिस प्रोटेक्शन दिया गया है। ये मूर्खता है। लोग सोशल मीडिया पर किसी को भी गाली देने की आजादी को एंजॉय करते हैं। इसे सीरियसली लेना मूर्खता होगी। मुझे तो दोनों साइड से गालियां पड़ीं। कुछ मुस्लिमों ने तो मेरा नाम तक बदल दिया। अमर नाम दे दिया। हिंदू एक्सट्रीमिस्ट बोलते हैं, पाकिस्तान जाओ। जावेद बोले, जब दोनों में से एक ट्रोल करना बंद कर देता है तो चिंता होती है। जब तक दोनों लोग ट्रोल कर रहे हैं, ठीक है।

मुस्लिम होने के सिवाय कोई रास्ता नहीं

जावेद अख्तर ने कहा, मैं मुस्लिम नास्तिक हूं। धर्म को नहीं मानता, धर्मों को भी नहीं मानता। मैं मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ हूं। मेरे पास मुस्लिम होने के सिवा कोई रास्ता नहीं है क्योंकि इसके लिए मुझे धर्म बदलना पड़ेगा। लेकिन मैं किसी धर्म को भी नहीं मानता तो उनमें क्यों जाऊं। मैं भले ही मुस्लिम धार्मिक मतों को न मानूं लेकिन मुस्लिम होना मुझसे जुड़ा।

नास्तिकों की हालत गे जैसी

जावेद बोले, बहुत से लोग नास्तिक हैं लेकिन वे समाज के प्रेशर में स्वीकार नहीं कर पाते। उनकी हालत ऐसी है जैसी 60 साल पले गे लोगों की थी। लोग समाज की वजह से सामने नहीं आ पा रहे। मैं और शबाना सारे त्योहार मनाते हैं। होली-दिवाली सारे मौसम के त्योहार हैं। धर्मों ने इन्हें ले लिया है ताकि त्योहार आकर्षक बन सकें।

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