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जावेद अख्तर बोले- भूख में कुत्ता बन जाता है इंसान, बोले- तंगहाली में खाली पेट किसी के घर डिनर के वक्त जाता था तो...

  • Javed Akhtar Interview: जावेद अख्तर अब जब खाने से भरी डाइनिंग टेबल देखते हैं तो वो वक्त याद आता है जब उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपना ट्रॉमा साझा किया।

Kajal Sharma लाइव हिन्दुस्तानMon, 18 March 2024 10:40 AM
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जावेद अख्तर जब अपने बीते मुश्किल के वक्त को लेकर दुखी नहीं होते बल्कि शुक्रगुजार हैं। उनका कहना है कि उन्होंने जो झेला बहुत लोग झेलते हैं पर जिंदगी बदले में हर किसी को इतना नहीं देती। जावेद ने वो वक्त याद किया जब उनके पास खाने के 2 दिन तक कुछ भी नहीं था। उस पल को सोचकर वह रो पड़े। साथ ही बताया कि डिनर के वक्त जब कोई खाना पूछता तो वह क्या जवाब देते थे।

अब याद आता है गुजरा वक्त

जावेद अख्तर ने वो वक्त भी देखा है जब उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं होता था। बरखा दत्त के साथ मोजो स्टोरी में उन्होंने उस दौर को याद किया। जावेद बोले, मैं संघर्ष के दिनों को सोचकर दुखी नहीं होता। अब खिड़की के बाहर समुद्र देखता हूं और खाना खाता हूं तो सोचता हूं कि मैं किसी ड्रामा का हिस्सा हूं। जब मैं डाइनिंग टेबल पर इतना सारा खाना लगा देखता हूं तो सोचता हूं कि इनमें से एक दाल या सब्जी ही उस रात मेरे पास होती जब मैं भूखा सोया था तो कितना मजा आया होता। मैं जीवन का शुक्रगुजार हूं क्योंकि कई लोगों ने मेरे जैसा दर्द झेला होगा लेकिन उनके जिंदगी में इसकी भरपाई नहीं हो पाई।

जब भूखे पेट किसी के घर पहुंचते जावेद

जावेद से पूछा गया कि कितने दिन भूखे रहना पड़ा। उन्होंने जवाब दिया, कई दिन। मान लीजिए मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया। शाम को किसी के घर पहुंचा और वे लोग डिनर कर रहे हैं। वे बोले, आइए खाना खा लीजिए। तब आप अपने आप बोलते हैं, नहीं मैं तो खाकर आया हूं, चाय पी लूंगा। जबकि मैं तो खाने के लिए मरा जा रहा हूं। मन ही मन आत्मग्लानि होती थी कि अगर पता चल गया कि खाने के लिए मर रहा हूं और बोल रहा हूं कि खा चुका तो बड़ी शर्मिंदगी होगी।

भूख से कुत्ता बन जाता है आदमी

जावेद आगे बोले, अब किसी के घर जाता हूं और थोड़ी भूख लगती है तो कॉन्फिडेंस के साथ बोल देता हूं कि अरे भई मुझे बहुत भूख लग रही है, मुझे कुछ खाने को दो। पर जब उस सिचुएशन में होते हैं तो थोड़े सेंसिटिव हो जाते हैं। 2-3 घटनाएं ऐसी थीं जिन्होंने मुझे ट्रॉमाटाइज्ड किया और ये ट्रॉमा अब तक है। जैसे मेरे पास 2 दिन तक खाने केलिए कुछ नहीं था। ऐसे में तीसरे दिन कुत्ते और इंसान में फर्क नहीं रहता। आपका सेल्फ रिस्पेक्ट, डिग्निटी सब कुछ धुंधला हो जाता है। बस आप इतना जानते हैं कि भूख लगी है।

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