Sam Bahadur Review: विकी की एक्टिंग का दिखा कौशल, मेघना ने गुलजार किया सिनेमा, पढ़ें सैम बहादुर का रिव्यू
- Sam Bahadur Movie Review: सैम मानेकशॉ के किरदार में विकी कौशल ने कमाल का अभिनय किया है। फिल्म देखकर सरदार उधम और मसान याद आ जाती हैं। जानें फिल्म में क्या कुछ खास है और कहां कमी रह गई है...

फिल्म: सैम बहादुर
निर्देशक: मेघना गुलजार
प्रमुख स्टार कास्ट: विकी कौशल, फातिमा सना शेख, मोहम्मद जीशान अय्यूब, सान्या मल्होत्रा और नीरज काबी
फिल्म अवधि: 150 मिनट
क्या है फिल्म की कहानी: फिल्म सैम बहादुर, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की जिंदगी दिखाती है, जिसकी शुरुआत बचपन से होती है। फिल्म की शुरुआत में ही देखने को मिलता है कि आखिर क्यों मां-बाप ने बचपन में नाम बदल दिया। इसके बाद कैसे सैम मानेकशॉ की जिंदगी आगे बढ़ी। फिल्म में बचपन के किस्सों पर रोशनी नहीं डाली है और शुरुआत आर्मी के टाइम से ही होती दिखती है। सैम बहादुर में सैम मानेकशॉ की जिंदगी के अहम फैसलों, भारतीय सेना के साथ उनका वक्त और पर्सनल लाइफ के कुछ अच्छे-बुरे पलों को दिखाया है। फिल्म में कुछ किस्से ऐसे हैं, जिससे साफ दिखता है कि आखिर क्यों सैम मानेकशॉ वाकई सबसे अलग और कमाल थे।
विकी ने बांधा समां
फिल्म में विकी कौशल, सैम मानेकशॉ के लीड रोल में हैं और इस बात में कोई संदेह नहीं है कि उन्होंने कमाल की अदाकारी का कौशल दिखाया है। फिल्म देखकर साबित हो गया है कि विकी कौशल, सरदार उधम, राजी और मसान जैसी फिल्मों के लिए बने हैं न कि द ग्रेट इंडियन फैमिली, जरा हटके जरा बचके या फिर गोविंदा नाम मेरा। विकी ने मानेकशॉ के किरदार में बखूबी जान डाली है और चाल से लेकर हाव-भाव और आवाज तक में वो दम दिखा है, जिसकी बेहद जरूरत थी। सान्या मल्होत्रा ने मानेकशॉ की पत्नी सिल्लू का किरदार निभाया है और उस इमोशनल टच के साथ दिखी हैं, जो पर्सनल लाइफ को पर्दे पर दिखाती है। फिल्म में इंदिरा गांधी के किरदार में फातिमा सना शेख हैं, जो जैसे जैसे कहानी के साथ आगे बढ़ती हैं, वैसे वैसे ही किरदार को अपनी एक्टिंग से गढ़ती दिखती हैं। इन सबके अलावा फिल्म में मोहम्मद जीशान अय्यूब किरदार में ढले दिखते हैं लेकिन बाद में बुरा मेकअप उनके किरदार पर भारी पड़ता दिखता है।
क्या अच्छा और क्या खटका
फिल्म का म्यूजिक काफी लाउड है और कानों को कुछ खास भाता नहीं है.. चूंकि शंकर-अहसान लॉय से उम्मीदें थोड़ी ज्यादा होती हैं, जो इससे पहले मेघना गुलजार संग राजी में जलवा बिखेर चुके हैं। फिल्म को आगे बढ़ाने के लिए कई रियल फुटेज का भी इस्तेमाल आपको फिल्म में देखने को मिलता है। जिससे कहानी टाइम लैप्स लेती है। इस फिल्म की राइटिंग और कैमरा वर्क इसकी जान है। हालांकि सैम की जिंदगी में इतना कुछ है कहने को कि कई मौकों पर ऐसा दिखता है कि फिल्म बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। ऐसे में अगर आपको इतिहास की जानकारी थोड़ी कम है, तो फिल्म कुछ मौकों पर आपको समझ नहीं आएगी।
थिएटर में देख सकते हैं सैम बहादुर
फिल्म को सिनेमाघरों में परिवार के साथ देखा जा सकता है और आप इसे देखकर बिलकुल भी निराश नहीं होंगे। मेघना गुलजार का काम अच्छा है, हालांकि कुछ कमियां रह जाती हैं, लेकिन उन्हें बतौर दर्शक इग्नोर किया जा सकता है। सैम बहादुर में कई ऐसे सीन्स हैं, जिसे देख आप हंसते हैं, गर्व महसूस करते हैं हालांकि एक भी रौंगटे खड़े करने वाला मूमेंट नहीं आता है। इन सबके बीच में सैम की जिंदगी जरूर आपको प्रेरित कर जाती है।
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