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जब आप AI को दे दें अपनी खुशियाें का कंट्रोल तब क्या होगा? पढ़िए अनन्या पांडे की फिल्म CTRL का रिव्यू

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर अनन्या पांडे और विहान समत की फिल्म ‘CTRL’ रिलीज हो गई है। ऐसे में आप इस फिल्म का हिंदी रिव्यू पढ़ने के बाद ये तय कर सकते हैं कि वीकेंड पर इस फिल्म को देखना है या नहीं।

Vartika Tolani लाइव हिन्दुस्तानFri, 4 Oct 2024 02:56 PM
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हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं या टेक्नोलॉजी की मदद से हमारा इस्तेमाल किया जा रहा है? अनन्या पांडे और विहान समत की फिल्म ‘Ctrl’ इसी सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करती है। छह साल पहले गूगल का एक इंटरनल वीडियो लीक हुआ था। इस वीडियो में गूगल की टीम ‘सेल्फिश लेजर’ नाम के प्रोजेक्ट पर बात करते सुनाई दे रही थी। वे डिस्कस कर रहे थे कि कैसे लोगों के डेटा का इस्तेमाल उन्हें इंफ्लुएंस करने के लिए किया जा सकता है। नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘Ctrl’ की कहानी इसी टॉपिक के आस-पास बुनी गई है।

ऐसी है फिल्म की कहानी

Ctrl (लैपटॉप में कंट्रोल के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शॉर्टकट) में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर नलिनी उर्फ नेल्ला (अनन्या पांडे) और उनके बॉयफ्रेंड जो मस्करेनस (विहान समत) की कहानी दिखाई है। दोनों की कॉलेज में मुलाकता होती है और फिर दोनों अपना सोशल मीडिया चैनल 'एंजॉय' शुरू करते हैं। दोनों की लाइफ मस्त चल रही होती है, उनके लाखों फॉलोअर्स होते हैं, नए-नए ब्रैंड्स उन्हें अप्रोच कर रहे होते हैं। लेकिन एक दिन नेल्ला, जो को किसी और लड़की को किस करते हुए पकड़ लेती। इसके बाद, चीजें इतनी सीरियस हो जाती हैं जिनका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। 

नया है फिल्म का कॉन्सेप्ट

फिल्म की कहानी काफी फ्रेश है। सिर्फ कहानी ही नहीं, फिल्म को पर्दे पर दिखाने का तरीका भी काफी अच्छा है। इस मॉडर्न वर्ल्ड में जहां हम बिना सोचे समझे कोई भी एप इंस्टॉल कर लेते हैं, बिना टर्म्स एंड कंडीशंस पढ़े अपनी सहमति दे देते हैं, उस जमाने में ऐसी फिल्म की बहुत जरूरत है। 

एक्टिंग

पूरी फिल्म अनन्या पांडे के कंधों पर टिकी हुई है। उन्होंने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। वहीं जो मस्करेनस का किरदार निभाने वाले एक्टर विहान ने भी अच्छा काम किया है।

क्लाइमैक्स

फिल्म का क्लाइमैक्स डिप्रेसिंग है, लेकिन सही है। एक समय आएगा जब टेक्नोलॉजी हम पर इतनी हावी हो जाएगी कि हम चाहकर भी उससे दूर नहीं रह पाएंगे।

यहां खा गई मात

कहीं-कहीं फिल्म थोड़ी बोरिंग लगती है। फिल्म में ऐसे बहुत सारे सीन्स आते हैं जहां आपको स्क्रीन पर लिखे शब्दों को पढ़ना पड़ता है। ऐसे में स्क्रीन पर नजरें बनाए रखनी पड़ रही हैं।

देखें या नहीं

टेक्नोलॉजी की वजह से हमारी जिंदगी में आने वाले खतरे से आगाह कराने वाली ये फिल्म एक बार ताे जरूर देखनी चाहिए।

 

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