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Kakuda Movie Review: डराएगी भी और हंसाएगी भी, 'काकुड़ा' OTT पर देती है थिएटर वाला मजा

  • Kakuda Movie Review: सोनाक्षी सिन्हा और रिेतेश देशमुख की फिल्म 'काकुड़ा' एक जबरदस्त फैमिली एंटरटेनर मूवी है। जानिए फिल्म में क्या है पॉजिटिव और निगेटिव और किस तरह की ऑडियंस के लिए है बेस्ट चॉइज।

Puneet Parashar लाइव हिन्दुस्तानThu, 11 July 2024 06:51 AM
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फिल्म: काकुड़ा

कास्ट: सोनाक्षी सिन्हा, रितेश देशमुख, साकिब सलीम, आसिफ खान, सचिन विरोधी

डायरेक्टर: आदित्य सरपोत्दार

ओटीटी: ZEE5

सोनाक्षी सिन्हा और रितेश देशमुख स्टारर हॉरर कॉमेडी फिल्म 'काकुड़ा' ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE5 पर 12 जुलाई को रिलीज हो रही है। फिल्म डिजिटल स्क्रीन पर आपको थिएटर वाला मजा देती है। अपने जॉनर के मुताबिक यह आपको हंसाती भी है और डराती भी है। हीरामंडी के बाद फिर एक बार सोनाक्षी सिन्हा डबल रोल में नजर आई हैं और उन्होंने अपना काम बखूबी किया है। रितेश देशमुख की एंट्री फिल्म में थोड़ी देर से होती है, लेकिन जब वो स्क्रीन पर आते हैं तो बाकियों को ओवर शैडो करने में कामयाब रहते हैं। तो चलिए जानते हैं कि क्या है फिल्म की कहानी और क्या हैं इसके पॉजिटिव और निगेटिव पॉइंट्स।

क्या है फिल्म 'काकुड़ा' की कहानी?

फिल्म की कहानी 'रतौड़ी' नाम के एक गांव के बारे में है जहां पिछले 50 सालों से हर घर के दो दरवाजे होते हैं। पहला मुख्य दरवाजा जिसे आम लोग इस्तेमाल करते हैं और दूसरा दरवाजा पहले की तुलना में काफी छोटा होता है जिसे हर मंगलवार की शाम 7.15 बजे खोलकर गेट पर बैठना होता है। जिस घर का दरवाजा बंद मिला उस पर 'काकुड़ा' का कहर बरसता है और उस घर के मर्द की पीठ पर एक बड़ा सा कूबड़ निकल आता है। कूबड़ निकलने के 13 दिनों में उस शख्स की मौत हो जाती है। गांव के लोगों को इस सबकी इतनी आदत पड़ चुकी है कि पीठ पर कूबड़ दिखने के साथ ही लोग उस शख्स की अर्थी और तेरहवीं की तैयारियां शुरू कर देते हैं।

रतौड़ी गांव में ही रहता है सनी (साकिब सलीम) नाम का एक लड़का जिसे इंदिरा (सोनाक्षी सिन्हा) से प्यार हो जाता है। इंदिरा दूसरे गांव में रहती है और भूत प्रेत में यकीन नहीं करती। इंदु के पिता मास्टर हैं और अपनी बेटी के लिए कोई ऐसा लड़का ढूंढ रहे हैं जिसकी अंग्रेजी फर्राटेदार हो। लेकिन इंदु तो सनी से प्यार करती है जो कि पेशे से हलवाई है। शादी की बात नहीं बनती तो इंदु और सनी भागकर शादी करने का फैसला करते हैं, लेकिन शादी के लिए जिस दिन की तारीख और मुहूर्त पंडित जी ने निकाला है उस दिन मंगलवार पड़ रहा है और हर मंगलवार को 'काकुड़ा' आता है। जिसके लिए घर का छोटा दरवाजा खोलकर इंतजार करना होता है।

सनी उसका दोस्त किलविश (आसिफ खान) और इंदु तय करते हैं कि जिस दिन शादी होनी है उस दिन सनी अपने पिता को दरवाजा खोलकर बैठने की जिम्मेदारी दे आएगा ताकि 'काकुड़ा' के श्राप से भी बचा जा सके और शादी भी मुहूर्त वाले दिन हो जाए। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब सनी तो पता चलता है कि उसके पिता तो तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं। इंदु के दबाव बनाने पर सनी रिस्क लेता है और शादी के लिए दूसरे गांव चला जाता है। हड़बड़ी में शादी पूरी होती है और सनी भागता हुआ अपने गांव पहुंचता है, लेकिन उसे देरी हो जाती है और 7.15 बजे वो घर का दरवाजा नहीं खोल पाता, नतीजा यह कि 'काकुड़ा' का श्राप उस पर टूटता है और सनी की पीठ पर भी कूबड़ निकल आता है।

इंदु जो कि पढ़ी लिखी लड़की है और विज्ञान में मानती है वह जिद पर अड़ जाती है कि दिल्ली जाकर सनी का इलाज कराएगी और अपने पति को ठीक कर लेगी। लेकिन शॉक तब लगता है जब सर्जरी के अगले ही दिन उसी जगह पर फिर से सनी के कूबड़ निकल आता है। अब इंदु विक्टर नाम के एक घोस्ट हंटर (रितेश देशमुख) की मदद लेने का फैसला करती है जो उसे उसी हॉस्पिटल में मिलता है। क्या विक्टर और इंदु मिलकर सनी को बचा पाएंगे? अगर हां तो कैसे? और यह काकुड़ा कौन है जो गांव वालों को इतनी दर्दनाक मौत दे रहा है? काकुड़ा नाम के इस भूत की कहानी क्या है? इन सवालों के जवाब आपको फिल्म में मिलेंगे।

क्या हैं फिल्म के पॉजिटिव पॉइंट्स?

फिल्म को कमाल की लोकेशन्स पर शूट किया गया है और बैकग्राउंड म्यूजिक भी कमाल का है। डायरेक्टर आदित्य सरपोत्दार का हॉरर कॉमेडी फिल्मों को लेकर एक्सपीरियंस साफ दिखाई पड़ता है और उन्होंने बड़ी खूबसूरती से डर और कॉमेडी के इमोशन्स को बैलेंस किया है। जंप स्केयर सीन्स को जबरन नहीं ठूंसा गया है और जहां डाला है वहां पूरी तरह जस्टिफाइड लगते हैं। फिल्म में VFX का कम लेकिन बिलकुल सटीक इस्तेमाल किया गया है। सोनाक्षी सिन्हा, रितेश देशमुख और साकिब सलीम समेत सभी एक्टर्स ने अपना काम बखूबी किया है। फिल्म में गिनती के ही गाने हैं लेकिन वो इंटेन्स कहानी के बीच मजा देते हैं। कुल मिलाकर 'काकुड़ा' एक कमाल की थिएटर मैटेरियल मूवी है जिसे आप पूरे परिवार के साथ बैठकर एन्जॉय कर सकते हैं।

क्या हैं फिल्म के निगेटिव पॉइंट्स?

फिल्म में निगेटिव पॉइंट्स में कुछ खास गिनाने को आदित्य सरपोत्दार ने छोड़ा नहीं है लेकिन आजकल चल रहे ट्रेंड को फॉलो करते हुए फिल्म के आखिर में अगले पार्ट के लिए गुंजाइश छोड़ी गई है। पहला पार्ट काफी दमदार रहा है लेकिन क्या दूसरे पार्ट में भी कहानी इतनी ही दमदार होगी? फिल्म में कहानी से जुड़े कुछ सवालों के जवाब मन में अटक सकते हैं लेकिन ज्यादातर जिज्ञासाएं आखिर तक शांत कर दी जाती हैं। संभावना है कि कुछ चीजें मेकर्स ने अगले पार्ट के लिए बचाई हों।

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