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Bastar movie review: दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ने में चूकी फिल्म, अदा शर्मा की परफॉर्मेंस कमजोर, पढ़ें फिल्म रिव्यू

Bastar The Naxal Story Movie Review Hindi: फिल्म बस्तर द नक्सल स्टोरी रिलीज हो गई है। यह फिल्म नक्सलवाद पर आधारित है। फिल्म में अदा शर्मा लीड रोल में हैं और फैंस इस फिल्म को देखने के लिए काफी एक्साइटेड थे क्योंकि इससे पहले द केरल स्टोरी में अदा की जबरदस्त परफॉर्मेंस देखने को मिली थी।

Sushmeeta Semwal लाइव हिन्दुस्तानFri, 15 March 2024 01:48 PM
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फिल्म: बस्तर द नक्सल स्टोरी

डायरेक्टर: सुदिप्तो सेन

कास्ट: अदा शर्मा, यशपाल शर्मा, राइमा सेन, शिल्पा शुक्ला, सुब्रत दत्ता

क्या है कहानी

सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी होती है छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से जहां नक्सली एक शख्स को तिरंगा फहराने की वजह से मार देता है और उसके बेटे को भी नक्सली अपने साथ ले जाते हैं। इसके बाद वहां नक्सलवाद क्या करते हैं और कैसे इसे खत्म करने के लिए नीरजा माधवन लड़ती है यह आपको फिल्म में देखना होगा।

रिव्यू

बस्तर फिल्म नक्सलवाद की शुरुआत, उसके रूट्स और उससे क्या अंजाम होता है को समझाने को दर्शाती है। है। हालांकि सूक्ष्म करेक्टर को दरकिनार करने और कभी-कभी ओवरसिंपल दिखाने के चक्कर में फिल्म की जो क्षमता है वो कम हो जाती है जिससे दर्शकों के मन में कई सवाल खड़े हो जाते हैं।

बस्तर में दिखाया गया कि कैसे नक्सली हिंसा के परिणामों से जूझ रहे एक मां और बेटे देखते हैं कि कैसे उनके पति और पिता को नेशनल एंथम बोलने पर नक्सली मार देते हैं। मां फिर पुलिस फोर्स ज्वाइन कर लेती है और बेटा नक्सली बन जाता है। हालांकि, उनके बीच का जो डाइनैमिक है और जो उनकी पसंद के कारण काफी हद तक समझ नहीं आते हैं, जिससे दर्शक यह सोच रहे हैं कि क्या यह कहानी फिल्म को इसके फिलहाल के संस्करण की तुलना में ज्यादा रिलेटबल और सहानुभूतिपूर्ण बनाती है।

लास्ट में यही कहेंगी कि बस्तर नक्सलवाद के खिलाफ देश की लड़ाई को दर्शाता है, लेकिन फिल्म इसके सब्जेक्ट की बारीकियों को पूरी तरह से खोज करने में सफल नहीं होती है।

परफॉर्मेंस

अदा शर्मा की परफॉर्मेंस फिल्म में अच्छे से बैठी नहीं। इसकी वजह उनके किरदार की कमजोरी नहीं बल्कि इसके लिए वह सही से ट्रेन नहीं हो पाईं। एक ऑफिसर के रूप में जब वह भाग रही थीं और शूटिंग कर रही थीं वह बिल्कुल परफेक्ट नहीं लग रही थीं।

वहीं दूसरी ओर इंदिरा तिवारी और नमन जैन ने मां-बेटे की अच्छी भूमिका निभाई है। हालांकि उनका अपीयरेंस स्क्रीन पर और होना चाहिए था जिनसे उनका किरदार और निखरकर आता। फिल्म का देशभक्तिपूर्ण उत्साह और गोलीबारी में लोगों के बलिदान को उजागर करने में फिल्म सफल रही है, लेकिन फिल्म के जो ग्रे शेड्स हैं उसे कन्फ्रंट करने में फिल्म इनकम्पलीट होती है।

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