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1975 में बनी इस फिल्म को देखने के लिए दर्शक हॉल के बाहर उतारते थे जूते-चप्पल, महिलाओं के लिए होते थे स्पेशल शोज

  • साल 1975 में एक ऐसी फिल्म बनी थी जिसमें कोई बड़ा स्टार नहीं था, लेकिन फिल्म ने कमाई के मामले में अमिताभ बच्चन की फिल्म दीवार को भी पीछे छोड़ दिया था।

Harshita Pandey लाइव हिन्दुस्तानThu, 12 Sep 2024 05:14 PM
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साल 1975 में एक ऐसी फिल्म बनी थी जिसका ना बजट ज्यादा था, ना फिल्म में किसी बड़े स्टार ने काम किया था। हालांकि, कम बजट के बाद भी यह फिल्म उस साल सबसे ज्यादा कमाई करनेवाली फिल्मों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर थी। 1975 में सबसे ज्यादा कमाई अमिताभ बच्चन की शोले ने के थी, लेकिन इस फिल्म ने अमिताभ की उसी साल रिलीज हुई फिल्म दीवार को कमाई के मामले में पीछे छोड़ दिया था। इतना ही नहीं, महिलाओं के लिए इस फिल्म के स्पेशल शोज भी रखे जाते थे। 

अनीता गुहा ने निभाया था मुख्य किरदार

क्या आप पहचान पाए इस फिल्म का नाम? अगर नहीं, तो चलिए हम बताते हैं। इस फिल्म का नाम था ‘जय संतोषी मां'। इस फिल्म को विजय शर्मा ने डायरेक्ट किया था। वहीं, फिल्म में अनीता गुहा संतोषी मां के किरदार में नजर आईं थीं। जब यह फिल्म रिलीज हुई तो शुरुआती 10 दिनों में फिल्म ने बेहद ही खराब प्रदर्शन किया। हालांकि, 10 दिन बाद फिल्म को देखने वालों की संख्या बढ़ने लगी। 

अमिताभ की दीवार को छोड़ दिया था पीछे

मीडिया में मौजूद जानकारी के मुताबिक, इस फिल्म का बजट 10 से 15 लाख के बीच था, लेकिन इस फिल्म की कमाई की बात करें तो फिल्म ने करोड़ों में कमाई की थी। यह फिल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की लिस्ट में नंबर दो पर थी। इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन की दीवार को पीछे छोड़ दिया था। 

महिलाओं के लिए होते थे स्पेशल शोज

कहा जाता है, फिल्म की शानदार कमाई के पीछे महिलाओं का बड़ा रोल था। महिलाएं बड़ी संख्या में इस फिल्म को देखने पहुंचती थीं। यही वजह थी कि महिलाओं के लिए इस फिल्म के स्पेशल शोज रखे जाते थे। यह शो शनिवार को होते थे। उस दिन बच्चों के स्कूल जल्दी खत्म हो जाते थे और महिलाएं अपने बच्चों के साथ यह फिल्म देखने पहुंचती थीं। 

हॉल में हो जाता था मंदिर जैसा माहौल

मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स में ये दावा भी किया गया है कि इस फिल्म की स्क्रीनिंग जब होती थी तो दर्शक हॉल के बाहर ही जूते चप्पल उतार कर जाते थे। हॉल के दरवाजे बंद होने के बाद अंदर मंदिर जैसा माहौल होता था। महिलाएं फिल्म के गानों पर गरबा करती थीं। स्क्रीन की तरफ फूल और सिक्के उछालती थीं। 

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