तब बिहार में प्यार करना दुस्साहस था लेकिन किया, पंकज त्रिपाठी ने बताईं अपनी प्रेम कहानी की दुश्वारियां
- पंकज त्रिपाठी का मानना है कि प्यार का असली संघर्ष शादी के बाद शुरू होता है। अपनी शादी को याद करते हुए उन्होंने बताया कि 90 के दशक में प्यार करना हिम्मत का काम होता था और उन्होंने शादी भी की।
पंकज त्रिपाठी अपनी सफलता में अपनी पत्नी मृदुला को बड़ा श्रेय देते हैं। उनकी बातों में अक्सर उनकी वाइफ का जिक्र आता है। वह बता चुके हैं कि संघर्ष के दिनों ने मृदुला ने उन्हें पूरा सपोर्ट दिया था। पंकज और मृदुला की शादी आसान नहीं थी। पंकज कई बार इसका जिक्र कर चुके हैं। उनका कहना है कि प्यार करते वक्त इंसान नतीजे के बारे में नहीं सोचता। उन्होंने भी बहुत से त्याग किए।
शादी के बाद शुरू होती है असली परीक्षा
लल्लनटॉप से बातचीत में पंकज त्रिपाठी बोले, '90 के दशक में बिहार में प्यार करना दुस्साहस था लेकिन मैंने ऐसा किया। उस वक्त आप नतीजे के बारे नहीं सोचते। प्यार की इच्छा सामने वाले को पाने से शुरू होती है लेकिन बाद में बहुत त्याग करने पड़ते हैं, और हमें खुशी-खुशी त्याग करने पड़े। लोगों को लगता है कि शादी करने से प्यार पूरा हो जाता है लेकिन यही शुरुआत होती है। शादी के बाद आपको अपने साथी में बहुत कमियां नजर आती हैं फिर आपको बिना किसी शर्त के त्याग करने पड़ते हैं। आप प्यार के लिए साथ आते हैं लेकिन आपको इस बात का भी सम्मान करना चाहिए कि आपका अलग भी व्यक्तित्व है। अपने आपको एक-दूसरे पर मत थोपिए।'
सास ने नहीं अपनाया
मृदुला पहले एक इंटरव्यू में बता चुकी हैं कि पंकज त्रिपाठी की मां ने अब तक उन्हें बहू नहीं माना है। वजह यह है कि पंकज की बहन की शादी मृदुला के भाई से हुी है। उनकी कम्युनिटी में ऐसा करना वर्जित होता है। यानी जिस घर में लड़की दी हो वहां की लड़की को बहू नहीं बनाया जाता। इसके बावजूद पंकज त्रिपाठी ने मृदुला से शादी की। उनके लिए यह रिश्ता आसान नहीं था।
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