Hindi Newsएंटरटेनमेंट न्यूज़बॉलीवुडNushrratt Bharuccha replies on trolling after visiting kedarnath says shiv gives me relief

मैं मुस्लिम हूं लेकिन शिव मेरे लिए सुकून हैं, केदारनाथ जाकर हुई ट्रोलिंग पर नुशरत भरूचा ने दिया जवाब

  • नुशरत भरूचा केदारनाथ गईं तो उनको ट्रोल किया गया। उन्होंने बताया है कि वह नमाज पढ़ती हैं, चर्च जाती हैं और मंदिर भी जाती हैं। शिव को वह सुकून मानती हैं और उनके मां-बाप भी लिबरल हैं।

Kajal Sharma लाइव हिन्दुस्तानMon, 21 April 2025 01:08 PM
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मैं मुस्लिम हूं लेकिन शिव मेरे लिए सुकून हैं, केदारनाथ जाकर हुई ट्रोलिंग पर नुशरत भरूचा ने दिया जवाब

नुशरत भरूचा का मानना है कि ईश्वर एक है और उनतक पहुंचने के रास्ते अलग हो सकते हैं। वह नमाज पढ़ती हैं, रोजा रखती हैं और केदारनाथ जाकर नंदी के कान में विश भी मांगती हैं। वह सभी धर्मों को मानती हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मुस्लिम होकर चर्च जाने या मंदिर जाने पर वह ट्रोलिंग को किस तरह लेती हैं।

केदारनाथ में मिला सुकून

नुशरत भरूचा मुस्लिम है। वह फिर भी केदारनाथ गईं और ट्रोलिंग झेली। शुभंकर मिश्रा के पॉडकास्ट पर नुशरत ने इसका जवाब दिया, 'मुझे शांति महसूस हुई। इतने लोग थे लेकिन मैं माइंड में शांत हो गई थी। मेरे दिमाग और आत्मा में कोई परेशानी नहीं था। मुझमें उस वक्त एक स्थिरता आ गई थी। इसलिए मैं वहां बैठ गई थी। वहां बहुत आवाज थी लेकिन मुझे हवा की आवाज आ रही थी। मैं इस्लाम को मानती हूं लेकिन शिव मेरे लिए सुकून हैं। मैं तो वैष्णो देवी भी गई हूं, मुझे शिव ने बुलाया था।'

चर्च भी जाती हैं नुशरत

नुशरत ने बताया कि उनके परिवार में और भी लोग लिबरल सोच के हैं। वह अपनी चाची के साथ चर्च में कैंडल जलाकर भी आती हैं। नुशरत ने बताया कि उनके मां-बाप की सोच है कि विश्वास पर्सनल होता है। वो किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। आपको जिस प्रार्थना में शांति मिलती है वो करना चाहिए। नुशरत बोलीं, मैं नमाज भी पढ़ती हूं। मैं लेकर ट्रैवल करती हूं। वक्त मिलता है तो पांच टाइम नमाज पढ़ती हूं। मुझे वहां भी सुकून मिलता है। मैं मानता हूं कि ईश्वर एक हैं। उनकी प्रार्थना करने के तरीके अलग हैं। मैं अलग-अलग तरीके आजमाकर देखती रहती हूं।

ट्रोलिंग से नहीं पड़ता है फर्क

नुशरत से पूछा गया कि क्या उन्हें किसी ने नहीं कहा कि मुसलमान होकर मंदिर और चर्च जाती हैं। इस्लाम को बदनाम कर रही हैं? इस पर नुशरत बोलीं, कमेंट्स में लोग ऐसा बोलते रहते हैं। हर जगह से आलोचना आती है। इसलिए किसी का क्या सोचना है, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। ऐसा नहीं है कि कमेंट्स पढ़ने के बाद मैं मंदिर नहीं जाऊंगी या नमाज नहीं पढ़ूंगी। मैं दोनों करूंगी।

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