निम्रत कौर के मेजर पिता का किडनैप कर आतंकियों ने कर दी थी हत्या, 30 साल बाद बना मेमोरियल, एक्ट्रेस हुईं इमोशनल
- निम्रत जब महज 11 साल की थीं, तब आतंकियों ने उनके पिता भूपिंदर सिंह जो कि एक मेजर थे उनकी हत्या कर दी थी। शहीद होने से पहले उनकी पोस्टिंग कश्मीर में थी। वहीं, अब 30 साल बाद शहीद मेजर के सम्मान में एक मेमोरियल बना है, जिसका उद्घाटन उनके परिवार ने किया है।
Nimrat Kaur: बॉलीवुड एक्ट्रेस निम्रत कौर आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। निम्रत 'एयरलिफ्ट' और 'दसवीं' जैसी फिल्मों में अपनी बेहतरीन एक्टिंग से दर्शकों के दिलों में खास जगह बना चुकी हैं। निम्रत ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था और उसका दर्द वो आज तक महसूस करती हैं। एक्ट्रेस जब महज 11 साल की थीं, तब आतंकियों ने उनके पिता भूपिंदर सिंह जो कि एक मेजर थे उनकी हत्या कर दी थी। शहीद होने से पहले उनकी पोस्टिंग कश्मीर में थी। वहीं, अब 30 साल बाद शहीद मेजर के सम्मान में एक मेमोरियल बना है, जिसका उद्घाटन उनके परिवार ने किया है। इस दौरान की तस्वीरें निम्रत ने सोशल मीडिया पर शेयर की हैं।
निम्रत के शहीद पिता का बना मेमोरियल
निम्रत कौर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पिता भूपिंदर सिंह के मेमोरियल उद्घाटन की फोटोज शेयर की हैं। इन तस्वीरों में निम्रत के साथ उनकी मां और बहन मेमोरियल के पास खड़ी होकर पोज देती नजर आ रही हैं। वहीं, एक तस्वीर में आर्मी ऑफिसर्स के साथ भी दिखाई दे रही हैं। इन फोटोज को शेयर करते हुए निम्रत कौर ने बेहद ही इमोशनल नोट लिखा है।
निम्रत ने लिखा इमोशनल नोट
निम्रत ने पिता की तस्वीरों के साथ कैप्शन में लिखा, 'आज पापा की 72वीं जयंती पर मां, मेरी बहन और मैंने उनके नाम पर एक स्मारक का उद्घाटन किया, जिसमें न केवल उनके बल्कि राजस्थान के श्रीगंगानगर से 12 अन्य वीर सैनिकों के राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान का सम्मान किया गया। 30 साल पहले जब से हमने उन्हें जम्मू-कश्मीर में 1994 में खोया है, तब से मेरा और मेरे परिवार का एक सपना आखिरकार सच हो गया। यहां तैनात स्थानीय सेना के जवानों के साथ गहरे समन्वय में नागरिक प्रशासन के अथक प्रयासों और समर्थन के लिए मैं दिल से आभारी हूं।'
गौरवान्वित महसूस कर रही हूं
निम्रत ने आगे लिखा, 'पापा मिट्टी के बेटे थे, मोहनपुरा गांव में एक किसान परिवार में उनका जन्म हुए। उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक निडर और उग्रता के साथ नेतृत्व किया, जीवन जिया और मर गए। आज मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती कि मैं इस धरती पर खड़े होकर, उनके जन्म स्थान पर उनके नाम और जीवन की कहानी को अमर होते हुए देखकर कितना गौरवान्वित महसूस कर रही हूं, जो आज की और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर रहा है।' इसके साथ ही निम्रत ने सभी का दिल से धन्यवाद भी किया।
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