मनोज बाजपेयी को नहीं पसंद था अपना नाम, यह रखना चाहते थे लेकिन आ गया कहानी में ट्विस्ट
Manoj Bajpayee Name Story: मनोज बाजपेयी ने अपना नाम बदलने की कोशिश की थी। उन्होंने तय भी कर लिया था कि वो अपना नाम बदलकर क्या रखेंगे, जानिए क्यों कई बार कोशिश करने पर भी बात नहीं बनी।
बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी ने इस इंडस्ट्री को कई कल्ट फिल्में देकर खुद को साबित है। मनोज बाजपेयी की जर्नी काफी दिलचस्प रही है। मनोज बाजपेयी को आज पूरी दुनिया जानती है लेकिन कम लोग जानते हैं कि एक्टर को जिस नाम से आज जाना जाता है, अपना वो नाम उन्हें शुरू से ही खास पसंद नहीं था। मनोज बाजपेयी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि क्यों उन्हें अपने इस नाम से नफरत सी होने लगी थी, और साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने किस तरह अपना नाम बदलने की भी कोशिश की थी, लेकिन बाद में प्लान चेंज करना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपनी फिल्म के एक किरदार को यह नाम दिया था। मनोज बाजपेयी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अपना नाम बदलना चाहते थे क्योंकि बिहार में हर दूसरे शख्स का नाम मनोज होता है।
क्यों नहीं पसंद था मनोज को अपना नाम?
मनोज बाजपेयी ने मजाकिया अंदाज में कहा- मनोज टायर वाला, मनोज पंक्चर वाला, मनोज भुजिया वाला, मनोज लिट्टी वाला, मनोज मीट वाला, मनोज बिरयानी वाला। उन्होंने कहा कि आप थूक भी देंगे तो मनोज पर गिरेगा। जब मनोज बाजपेयी से पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी अपने पिता से कहा था कि वो नाम बदलना चाहते हैं तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पापा से नाम बदलने की बहुत जिद की थी। 'अलीगढ़', 'नाम शबाना' और 'बैंडिट क्वीन' जैसी फिल्मों का हिस्सा रहे मनोज बाजपेयी ने बताया कि उनके पापा उनसे कहते थे कि क्या यार तुम लोग नाम पर लगे हुए हो।
मालूम की थी नाम बदलवाने की प्रक्रिया
मनोज बाजपेयी ने पिता ने उनसे कहा कि जब हमने यह नाम रखा था तो मालूम है मनोज कुमार इतने बड़े स्टार थे, तुम लोगों को बात ही नहीं समझ में आती है। मनोज बाजपेयी ने सोचा कि वह अभी नहीं तो आगे चलकर जरूर अपना नाम बदलेंगे। एक्टर ने बताया कि वो जब थिएटर करने लगे तो उन्होंने सोचा कि अब वो अपना नाम बदल लेते हैं नहीं तो आगे वह इसी नाम से मशहूर हो जाएंगे। मनोज बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने जब पता करने की कोशिश की तो मालूम चला कि एक एफिडेविट बनवाना पड़ेगा और एक अखबार में छोटा सा विज्ञापन देना पड़ेगा। लेकिन क्योंकि उनके पास ऐसा करने के लिए पैसे नहीं थे तो वह चाहकर भी फिर ऐसा नहीं कर सके।
क्या नाम रखना चाहते थे मनोज बाजपेयी?
उन्होंने सोचा कि जब वो कमाने लगेंगे तो नाम बदल लेंगे। फिल्म 'बैंडिट क्वीन' के लिए जब उन्हें 50,000 रुपये मिले तो उन्होंने नाम बदलने का सोचा। तब उनके भाई ने उन्हें सुझाव दिया कि लोग आपकी पहली फिल्म देखेंगे तो नाम मनोज बाजपेयी दिखेगा और बाद में कुछ और? फिर मनोज बाजपेयी ने सोचा कि जो हो गया वो हो गया। लेकिन जो नाम वह अपना रखना चाहते थे, वो उन्होंने फिल्ममेकर अनुराग कश्यप से कहा था कि यह नाम फिल्म 'शूल' में उनके किरदार को दे दिया जाए। यह नाम था समर प्रताप सिंह।
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