राजामौली की फिल्मों में नहीं होता है लॉजिक! करण जौहर ने बताया कैसे चलती हैं उनकी फिल्में
- करण जौहर ने साउथ के दिग्गज फिल्ममेकर्स के साथ-साथ डायरेक्टर अनिल शर्मा का भी नाम लिया। उन्होंने कहा- अगर किसी आदमी को 1,000 लोगों को सिर्फ एक हैंडपंप से मारते दिखाया जा रहा है, तो यह सिर्फ…
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बॉलीवुड के दिगग्गज फिल्ममेकर करण जौहर इंडस्ट्री के कुछ सबसे प्रभावी लोगों में गिने जाते हैं। करण जौहर ने भारतीय सिनेमा को कई ब्लॉकबस्टर हिट फिल्में दी हैं और वह फिल्मों का निर्देशन करने के साथ-साथ प्रोडक्शन और स्क्रिप्ट राइटिंग भी करते हैं। करण जौहर अपनी रोमांटिक-कॉमेडी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने कोमल न्हाटा के साथ बातचीत में कहा कि अगर सिनेमा तर्क से परे जा सकता है अगर फिल्ममेकर कहानी, किरदारों और अपनी गढ़ी दुनिया के जरिए आपको उसमें दिखाई जा रही हर चीज के सही होने के लिए राजी कर ले।
करण जौहर ने बताया लॉजिक नहीं तो क्या?
करण जौहर ने अपनी बात समझाने के लिए साउथ के स्टार डायरेक्टर एस.एस.राजामौली और संदीप रेड्डी वांगा का उदाहरण दिया। करण जौहर से कोमल न्हाटा ने पूछा कि जब फिल्मों में लॉजिक बैकसीट पर होता है तब फ्रंट सीट पर कौन मोर्चा संभालता है? करण जौहर ने इस सवाल का झट से जवाब दिया 'कनविक्शन' (विश्वास)। फिल्ममेकर ने अपनी बात समझाते हुए कहा- यह बहुत जरूरी है। अगर आप बेस्ट फिल्ममेकर्स को देखोगे और उनका सफर समझोगे तो पाओगे कि उनकी सबसे कामयाब फिल्में विश्वास जगा पाने का नतीजा रही हैं।
राजामौली की फिल्मों में नहीं होता लॉजिक?
करण जौहर ने कहा कि अगर आप दर्शकों के दिलों में यह विश्वास जगा सकें कि फिल्म में दिखाई गई चीजें सही हो रही हैं, तो फिर लॉजिक रहे या ना रहे, कोई फर्क नहीं पड़ेगा। करण जौहर ने कहा, "उदाहरण के लिए राजामौली सर की फिल्मों को लीजिए। आपको कहां पर लॉजिक नजर आता है? आपको बस उनकी फिल्मों में 'विश्वास दिलाया जाना' नजर आता है। जब आपको विश्वास दिला दिया जाता है, तो ऑडियंस उनकी फिल्म में दिखाई जा रही चीजों के सही होने पर भरोसा करने लगती है।"
करण ने दिया गदर के सीन का उदाहरण
करण जौहर ने कहा कि यह बात सभी बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के लिए साबित होती है, जिसमें एनिमल, आरआरआर और गदर जैसे नाम शामिल हैं। अगर किसी आदमी को 1,000 लोगों को सिर्फ एक हैंडपंप से मारते दिखाया जा रहा है, तो यह सिर्फ कनविक्शन की वजह से हो पा रहा है। अनिल शर्मा को यकीन है कि सनी देओल वैसा कर सकता है, और नतीजा क्या होता है, कि जनता भी उस बात पर यकीन करने लगती है। और गदर-2 में तो वह जिस भी चीज को छू देता है वो उड़ जाती है, यह सब भरोसा जगा पाने की वजह से है।
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