कॉमेडी में डबल मीनिंग जोक्स और गाली देना सही? जावेद बोले- खाने में मिर्च…
- जावेद अख्तर ने हाल ही एक इंटरव्यू में देश के जानेमाने स्टैंडअप कॉमेडियन्स से बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें कॉमेडी में गाली और डबल मीनिंग जोक्स का इस्तेमाल ठीक लगता है या गलत?
जावेद अख्तर ने बॉलीवुड की तमाम फिल्मों की कहानी लिखी है। उन्हें उनके लिखे गानों के बोल के लिए भी जाना जाता है। जावेद अख्तर उन लोगों में से हैं जिन्हें बिना किसी हिचक के अपनी बातों को खुलकर रखने के लिए जाना जाता है। अब हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में देश के जानेमाने कॉमेडियन्स के साथ बातचीत की। उन्होंने कॉमेडी में गालियों और डबल मीनिंग जोक्स पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि गाली भाषा में मिर्च की तरह होती है।
गाली के इस्तेमाल पर क्या बोले जावेद अख्तर?
यूट्यूब पर स्टैंडअप कॉमेडियन सपन वर्मा ने अपने चैनल पर जावेद अख्तर के साथ खास बातचीत का एक वीडियो अपलोड किया है। वीडियो में सपन वर्मा के साथ कॉमेडियन श्रीजा चतुर्वेदी और बिस्वा कल्याण रथ नजर आ रहे हैं। तीनों कॉमेडियन ने जावेद अख्तर से उनकी फिल्मों और राइटिंग के बारे में बात की। इस दौरान जावेद अख्तर से सवाल हुआ कि वो कॉमेडी में गालियों और डबल मीनिंग जोक्स को किस तरह देखते हैं?
इसपर जावेद अख्तर ने कहा, "आपको एक बात बताऊं, ओडिशा, बिहार और मेक्सिको में जब कोई पार्टी होती है तो लोग खाने के साथ बहुत सारी मिर्च खाते हैं क्योंकि खाना बहुत फीका होता है। तो खाने में कुछ स्वाद पाने के लिए वो मिर्च खाते हैं। गाली भाषा में मिर्च की तरह है। अगर आप अच्छी भाषा बोल लेते हैं और आप इतने मजाकिया हैं तो आपको इस मिर्च की जरूरत ही नहीं है। अगर आपकी बातचीत फीकी है तो आप गाली डालेंगे उसमें। उसे कुछ एनर्जी देने के लिए।"
डबल मीनिंग गानों पर क्या बोले जावेद अख्तर
इसके बाद श्रीजा उनसे पूछती हैं कि आपको डबल मीनिंग जोक्स के बारे में भी ऐसा ही लगता है? ऐसी बातें कुछ लोगों को राहत देती हैं? इसपर जावेद अख्तर ने कहा, "जिन लोगों को अश्लील गाने सुनकर राहत मिलती है, कैसे लोग होंगे वो। उन्हें मनोचिकित्सक की जरूरत है, गानों की नहीं।"
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