क्या वाकई मुसलमानों में संगीत हराम है? सूफी सिंगर बिसमिल ने बताई 'हलाल' होने की वजह
- सूफी सिंगर बिसमिल ने देश दुनिया के कई दिग्गजों के साथ मंच साझा किया है और लगातार सूफी संगीत की दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं।
मशहूर सूफी सिंगर बिसमिल ने एक इंटरव्यू में इस सवाल का जवाब दिया कि क्या वाकई मुसलमानों में म्यूजिक हराम है। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि क्या उन्हें कभी अपने परिवार से इस मुद्दे पर विरोध का सामना करना पड़ा? बिसमिल ने अरिजीत सिंह से लेकर सोनू निगम और राहत फतेह अली खान तक के साथ स्टेज साझा किया है। सूफी संगीत को अपनी इबादत मानने वाले बिसमिल ने बताया कि जिस काम में वो कड़ी मेहनत कर रहे हैं और अपना पसीना बहा रहे हैं और तब जाकर उन्हें कुछ पैसे कमाने का मौका मिल रहा है तो वह हराम कैसे हो सकता है।
परिवार ने कभी कहा कि संगीत हराम है?
बिसमिल के साथ बातचीत में सिद्धार्थ कनन ने पूछा, "कहा जाता है कि मुस्लिमों में म्यूजिक हराम है। कभी आपने इस मुद्दे पर विरोध का सामना किया? तो जवाब में बिसमिल ने कहा, "नहीं, दरअसल मेरा परिवार खुद ही म्यूजिक इंडस्ट्री से रहा हैं। लेकिन जहां तक विरोध की बात है तो मुझे कभी इस चीज का कोई पुख्ता कुछ ऐसा नहीं मिला है।"
'मेरा पसीना निकल रहा है किसी काम में...'
अपनी बात के साथ तर्क जोड़ते हुए बिसमिल ने कहा, "इंसान मेहनत करता है, और मेहनत करके अगर वो सही चीज, हलाल चीज कर रहा है तो वो मुझे लगता है एकदम ठीक है।" बिसमिल ने कहा कि मेरा पसीना निकल रहा है किसी काम में, मैं मेहनत कर रहा हूं। मेहनत से कमा रहा हूं, तो मुझे नहीं लगता कि वो हराम है। इसके अलावा बिसमिल ने इस सवाल का भी जवाब दिया कि बहुत से लोगों को लगता है कि पाकिस्तान सूफी संगीत के मामले में हमसे कहीं बेहतर कर रहा है। क्या यह सच है?
क्या भारत में नहीं है सूफी का वैसा हुनर?
सवाल के जवाब में बिसमिल ने कहा कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि हम ऑलरेडी उस स्टेज पर पहुंच चुके हैं। इंडिया में इतने सारे सूफी आर्टिस्ट हैं। भारत में भी कितने ही कलाकार हैं जो बहुत अच्छा कर रहे हैं, तो भारत भी बहुत अच्छा कर रहा है सूफी के मामले में, और यह चीज पहुंचेगी आगे। आप भरोसा रखिए हम भारतीयों पर। हम पहुंचाएंगे उसको उसके मुकाम पर।
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