‘कुन फाया कून’ गाने से एआर रहमान को था धार्मिक भावनाएं आहत होने का डर, आपको पता है मतलब?
- कुन फाया कुन गाने को पसंद करने वाले बहुत हैं। इम्तियाज अली ने इस गाने का जो धार्मिक कनेक्शन बताया है, वह काफी इंट्रेस्टिंग हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन लाइन्स को लेने से पहले वे डर रहे थे।
इम्तियाज अली की फिल्म रॉकस्टार का गाना 'कुन फाया कून' (कून-फयकून) शायद ही किसी को पसंद ना हो। हालांकि इसका मतलब बहुत कम लोगों को पता है। एक पॉडकास्ट के दौरान ने इम्तियाज ने इस गाने की लिरिक्स का धार्मिक महत्व बताया है। साथ ही बताया कि जब ये इरशाद कामिल ने ये लिरिक्स सुझाई तो एआर रहमान और इम्तियाज डर गए थे कि कहीं धार्मिक भावनाएं आहत न हो जाएं।
लिरिक्स से हैरान रह गए थे रहमान
रणवीर अलाहबादिया के पॉडकास्ट में इम्तियाज बोले, 'हम लिरिक्स पर दिमाग चला रहे थे। हम चाहते थे कि कुछ बढ़िया और ट्रडिशनल हो। इरशाद ने रहमान को 'कुन फाया कून' सजेस्ट किया। रहमान आइडिया पर चकाचौंध रह गए और पूछा, वाकई? आप श्योर हैं? मुझे इन शब्दों का मतलब नहीं पता था लेकिन रहमान और इरशाद दोनों को जानकारी थी। 'कुन फाया कून' कुरान से है। इसके सेंटिमेंट्स बाइबल में भी हैं और इसने मुझे ऋग्वेद की लाइन याद दिलाई जो बचपन में पढ़ी थी। इसका मतलब होता है 'वही था'और यह बाइबल में था या जैसा कि मुझे वेदों में पढ़ा हुआ याद था, जब कहीं पे कुछ भी नहीं था, वही था' बता दें कि गाने की लाइन्स हैं, जब कहीं पे कुछ भी नहीं था, वही था।
सभी धर्मों का एक ही संदेश
इम्तियाज अली बोले, मैं बहुत दृढ़ता से यह बात मानता हूं कि ज्यादातर धार्मिक लेख अलग-अलग भाषाओं में एक ही बात कहना चाहे हैं। चाहे कुरान हो, बाइबल हो या ऋग्वेद। लेकिन रहमान किसी को ऑफेंड नहीं करना चाहते थे। हम नहीं चाहते थे कि किसी की भावनाएं आहत हों क्योंकि जब आप आस्था की बात करते हैं तो ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि हमारी मंशा हर्ट करने की नहीं थी। हमने सबसे पूछा, डिसकस किया और फाइनली तय किया कि करते हैं लेकिन सेंसिटिविटी के साथ। हमने ध्यान रखा कि न सिर्फ गाने बल्कि इसके विजुअल्स के साथ भी केयरफुल रहा जाए।
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