फरहान अख्तर शराब के नशे में रहने लगे थे धुत, परेशान होकर मां ने कहा- जाओ! अपने पिता जावेद अख्तर के साथ रहो
- फरहान अख्तर ने अपने शुरुआती दिनों को याद किया। उन्होंने बताया कि उन्हें बाहर जाकर काम करने का मोटिवेशन कब और कैसे मिला।
जावेद अख्तर और हनी ईरानी के बेटे फरहान अख्तर इस वक्त बहुत बड़े फिल्म डायरेक्टर हैं। उन्होंने ‘दिल चाहता है’, ‘लक्ष्य’, ‘डॉन’ जैसी फिल्में बनाई हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में भी एक समय ऐसा आया था जब उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता नहीं मिल रहा था। फिर…फिर क्या हुआ? आइए बताते हैं।
मन में उठ रहे थे ये सवाल
फेय डिसूजा को दिए इंटरव्यू में फरहान अख्तर ने कहा, “मेरी जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया था जब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। मुझे पता था कि मुझे लोगों काे एंटरटेन करना है, लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि कैसे?”
बंद कर दी पढ़ाई
उन्होंने आगे कहा, “मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था। मैंने बी.कॉम में एडमिशन लेकर बहुत बड़ी गलती की थी क्योंकि मेरी कॉमर्स में कोई दिलचस्पी ही नहीं थी। लेकिन, मेरे सभी दोस्तों ने कॉमर्स लिया था तो मैंने भी ले लिया था। ऐसे में मैंने कॉलेज जाना बंद कर दिया और दो साल बेकार पड़ा रहा।”
मां को दिया टेंशन
फरहान ने आगे कहा, “मेरी मां को मेरी बहुत चिंता होती थी। वह हर समय टेंशन में रहती थीं। वह एक सिंगल मदर थीं। वह काम भी करती थीं और उनके ऊपर मेरी और जोया की जिम्मेदारी भी थी। उनका हाथ बटाने की बजाए मैं शराब पीता रहता था। एक दिन वह थक गईं मुझे समझाते-समझाते। उन्होंने कहा, ‘सुनो, मैंने हर तरह से कोशिश करके देख ली। मुझसे नहीं हो रहा है। शायद तुम्हे कुछ दिन अपने पिता के साथ रहना चाहिए।’…उस पल मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैंने उन्हें कितना निराश किया है।”
बदली किस्मत
इस घटना ने फरहान अख्तर की किस्मत बदल दी। उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि मैं उनके साथ बुरा व्यवहार कर रहा था, लेकिन मैं उनकी परेशानियों को कम करने की बजाए बढ़ा रहा था। उनके उस एक वाक्य ने मुझे बाहर जाकर काम करने पर मजबूर कर दिया।” बता दें, इसके बाद फरहान ने 1999 में रितेश सिधवानी के साथ मिलकर एक्सेल एंटरटेनमेंट नाम की प्रोडक्शन कंपनी खोली और 2001 में ‘दिल चाहता है’ बनाई।
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