गुलजार ने बताया एआर रहमान को धार्मिक, कहा- एयरपोर्ट के रास्ते पर अगर दरगाह है तो...
- बॉलीवुड के फेमस गीतकार गुलजार ने म्यूजिक कंपोजर एआर रहमान के गानों को लेकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे एआर रहमान के गानों में जादू होता है।
म्यूजिक की दुनिया में एआर रहमान एक ऐसा नाम है जिससे शायद ही कोई वाकिफ ना हो। एआर रहमान ने बॉलीवुड को तमाम ऐसे गाने दिए जो लोगों की जुबान पर चढ़े रहते हैं। उनके गाने एक तरह का जादू करते हैं। अब एक इंटरव्यू में गीतकार गुलजार ने एआर रहमान के गानों को लेकर बात की है। उन्होंने बताया कि कैसे एआर रहमान अपने गानों में जादू लेकर आते हैं। इस दौरान गुलजार ने बताया कि एआर रहमान एक धार्मिक व्यक्ति हैं।
'पिया हाजी अली' गाने की सुनाई कहानी
O2India से खास बातचीत में एआर रहमान ने फिजा के गाने 'पिया हाजी अली' गाने को लेकर बात की। उन्होंने गाने की बैकस्टोरी बताते हुए खुलासा किया कि एआर रहमान ने वो गाना कैसे कंपोज किया था। उन्होंने बताया, “मैं कहूंगा कि इस एक गाने के दो कंपोजर थे। अनु मलिक का कंपोजिशन भी मधुर था। अनु अपनी अलग स्टाइल को लेकर फेमस थे। मुझे लगता है क्योंकि खालिद मोहम्मद (फिजा फिल्म के डायरेक्टर) एआर रहमान के दोस्त थे, उन्हें फिल्म के लिए सूफी हम्द चाहिए था। उन्होंने अनु मलिक से इजाजत लेकर एआर रहमान को अप्रोच किया था। और इस तरह से एआर रहमान ने 'हाजी अली' की धुन बनाई।"
एआर रहमान लेकर आए सूफी गानों का युग
गुलजार ने आगे कहा, "ऐसा नहीं था कि इससे पहले सूफी गाने होते नहीं थे, लेकिन सूफी गानों को एक नया युग आया और इसका श्रेय एआर रहमान को जाता है। अब किसी भी गाने को सूफी गाना कह दिया जाता है। यह एक बहुत बड़ी गलतफहमी है। सिर्फ 'मौला' शब्द डाल देने से गाना सूफी नहीं हो जाता है। यह कंटेट, भावनाएं और दिव्य अनुभूति है जिसकी वजह से सूफी गाने का युग आया। और एआर रहमान इस प्रोसेस में पूरी तरह डूबे हुए हैं जो एक पवित्र आवाज को प्रेरित करती है। ऐसा नहीं है कि वो उसे लेकर घूमते हैं, ये उनके अंदर की आवाज है।"
आध्यात्मिकता में विश्वास रखते हैं एआर रहमान
एआर रहमान क्यों अलग हैं, इस बारे में बात करते हुए गुलजार ने कहा, "रहमान आध्यात्मिकता में विश्वास रखते हैं। वो एक धार्मिक व्यक्ति हैं। वो भगवान में विश्वास रखते हैं। अगर एयरपोर्ट के रास्ते में कोई दरगाह है, तो वो बिना दुआ करे आगे बढ़ नहीं बढ़ सकते हैं। जब वो मुंबई में होते हैं तो अक्सर हाजी अली या अजमेर शरीफ दरगाह जाते हैं जब भी वो बिखरा हुआ महसूस करते हैं या अपने आप से जुड़ने की जरूरत महसूस करते हैं। चूंकि वो एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं, वो धैर्य और खुद को समेटने के लिए अजमेर शरीफ दरगाह जाते हैं।"
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