रहमान ने रात के ढाई बजे बंद करवा दी थीं लाइट्स, रोने लगे थे लोग…ऐसे कंपोज हुआ अमर सिंह चमकीला का ‘विदा करो'
इम्तियाज की फिल्म अमर सिंह चमकीला का आखिरी गाना ‘विदा करो’ लोगों को बहुत ही पसंद आया। अब डायरेक्टर ने उस गाने के कंपोज होने की कहानी सुनाई है। डायरेक्टर ने बताया कैसे रात के ढाई बजे कंपोज हुआ विदा करो गाना।
इम्तियाज अली की फिल्म अमर सिंह चमकीला को दर्शकों से बहुत प्यार मिल रहा है। फिल्म की कहानी के साथ-साथ लोगों को इसके गाने भी बेहद पसंद आए हैं। खासकर फिल्म के अंत में 'विदा करो' गाना लोगों की आंखों में आंसू ला देता है। फिल्म के डायरेक्टर इम्तियाज अली ने बताया कि कैसे 'विदा करो' गाने को कंपोज किया गया।
रात के ढाई बजे कंपोज हुआ विदा करो
रेडियो नशा के साथ खास बातचीत में इम्तियाज अली ने बताया कि ये गाना रात के ढाई बजे कंपोज किया गया था। इम्तियाज अली ने बताया, "रहमान रात के ढाई बजे आए और अपने पियानो पर बैठे। उस वक्त मैं और इरशाद कामिल स्टूडियो से जाने के लिए निकल रहे थे। रहमान ने हमें लाइट्स बंद करके कुछ कैंडल्स जलाने को कहा ताकि हम उस प्रोसेस को एंजॉय कर सकें। जब हम पुराने हिंदी फिल्मी गानों के बारे में बात कर रहे थे तो उन्होंने धुन बजाना शुरू कर दिया... रहमान गुरु दत्त की फिल्मों के संगीत के बारे में बात कर रहे थे। मैं बस एक दर्शक के रूप में संगीत का आनंद ले रहा था।"
जब स्टूडियो में रोने लगे लोग
आगे इम्तियाज ने बताया कि इरशाद कामिल ने 45 मिनट्स में इस गाने के बोल लिख दिए। इसके बाद रहमान ने कहा कि चलो गाना कंपोज करते हैं। जब गाना कंपोज हो रहा था स्टूडियो में कुछ लोग रोने लगे थे। इम्तियाज ने बताया कि उस वक्त एआर रहमान ने मजाकिया अंदाज में कहा, "इरशाद कामिल आपने क्या किया है, आप लोगों को रुला रहे हैं।"
विदा करो गाना इरशाद कामिल द्वारा लिखा गया है। यह गाना शिव कुमार बटालवी की एक कविता से प्रेरित है। वहीं, इस गाने को गाया है अरिजीत सिंह ने। इम्तियाज ने बताया कि इस गाने के लिए एआर रहमान ने ही अरिजीत का नाम सुझाया था।
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