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रवि किशन ने बोले- गरीबी में पानी मिलाकर खाई खिचड़ी, बताया क्यों हटाना पड़ा शुक्ला सरनेम

  • रवि किशन पर्सनली और प्रोफेशनली दोनों जगह बेहतरीन फेज में हैं। इंडस्ट्री में उनका स्ट्रगल 15 साल से ज्यादा रहा। इससे पहले भी उन्होंने गरीबी देखी थी। एक पॉडकास्ट में उन्होंने बताया कि कैसे अब तक उनके अंदर से मिडिल क्लास रवि किशन नहीं निकला।

Kajal Sharma लाइव हिन्दुस्तानFri, 3 Jan 2025 01:32 PM
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रवि किशन ने बोले- गरीबी में पानी मिलाकर खाई खिचड़ी, बताया क्यों हटाना पड़ा शुक्ला सरनेम

रवि किशन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बना चुके हैं। वह पॉलिटीशियन भी हैं। एक पॉडकास्ट के दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी के गरीबी के दिनों को याद किया। उस वक्त उन्हें खिचड़ी में भी पानी मिलाकर गुजारा करना पड़ता था। रवि किशन ने बताया कि अब उनके पास कोई कमी नहीं फिर भी बड़े होटल में महंगा खाना नहीं ऑर्डर कर पाते। बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि अपने नाम से सरनेम शुक्ला क्यों हटाना पड़ा।

खिचड़ी में मिलाते थे पानी

शुभंकर मिश्रा से बातचीत में रविकिशन ने अपनी गरीबी के दिनों को याद किया। उन्होंने बताया, 'मैं मिट्टी की झोपड़ी में रहता था। हमारे ऊपर जिम्मेदारियां थीं, हमारा खेत गिरवीं रखा था। मैंने बहुत गरीबी देखी है। इतनी कि खिचड़ी को 12 लोगों में बांटना होता था वो भी पानी डालकर।'

चाय-वड़ा पाव में करते थे गुजारा

रवि किशन ने अपने मुंबई में आने के दिनों को भी याद किया। बताया कि चाय और वड़ा पाव में गुजारा करते थे और 15 साल तक इंडस्ट्री में उन्हें ठीक से पैसे नहीं मिले। रवि बताते हैं, 'मैंने बहुत अपमान सा है। लोगों को एक-दो बार बेइज्जत होना पड़ता है। मैंने हजारों बार ये झेला है। इन सबसे रवि किशन वो बना जो आज है।'

क्यों हटाया शुक्ला सरनेम

रवि किशन का सरनेम शुक्ला है। जब उनसे पूछा गया कि इसे क्यों हटाया। इस पर बोले, 'क्योंकि शुक्ला सरनेम से मुझे काम नहीं मिल रहा था।' बताया कि उस वक्त पैसे कमाना सबसे बड़ी जरूरत थी इसलिए सरनेम की चिंता नहीं की। रवि किशन बोले, 'रवि किशन शुक्ला नाम था। अब तो सौरभ शुक्ला, त्रिपाठी और बाजेयी सब हैं लेकिन तब ऐसा नहीं था।'

नहीं ऑर्डर कर पाते महंगा खाना

रवि किशन ने बताया कि आज भी जब वह 7 स्टार होटल में जाते हैं तो महंगा खाना ऑर्डर नहीं कर पाते, भले ही इसके लिए कोई भी पे कर रहा हो। बोले, 'मैं आज भी खिचड़ी ऑर्डर करता हूं। मैं आज भी कपड़े लॉन्ड्री में देने में झिझकता हूं। मुझे लगता है कि घर पर ही धो सकता हूं। वो गरीबी आज भी मेरा हिस्सा है। उस मिडिल-क्लास रवि किशन ने आज भी मुझे नहीं छोड़ा।'

परिवार पर पैसे उड़ाकर मिलती है खुशी

रवि किशन ने बताया कि वह अपने परिवारवालों का मनोबल बढ़ाते हैं कि खुद पर पैसे खर्च करें और वे जो भी लग्जरी आइटम खरीदते हैं उसके लिए पैसे देकर उन्हें खुशी होती है। लेकिन खुद पर पैसे नहीं खर्च कर पाते। उनके परिवार के लोग उनके लिए महंगे सामान खरीदते हैं।

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