कंगना रनौत ने DMK सरकार पर साधा निशाना, सद्गुरु को किया सपोर्ट, कहा- आरोप बेतुका है
- बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने अपने इंस्टाग्राम पर सद्गुरु के समर्थन में स्टोरी पोस्ट की है। साथ ही, उन्होंने कहा है कि डीएमके सरकार ईशा फाउंडेशन को परेशान कर रही है। बता दें, एक प्रोफेसर ने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को जबरदस्ती ईशा फाउंडेशन में रखा गया है।
बॉलीवुड एक्ट्रेस और भारतीय जनता पार्टी नेता कंगना रनौत ने ईशा फाउंडेशन का समर्थन किया है। दरअसल, 01 अक्टूबर को कोयंबटूर के थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन के आश्रम में पुलिस पहुंची थी। पुलिस आश्रम में तलाशी लेने पहुंची थी। रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने दावा किया था कि उनकी दो बेटियों को उनकी इच्छा के खिलाफ ईशा फाउंडेशन के केंद्र में रखा गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोप है कि सद्गुरु महिलाओं को अपना सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्याग कर संन्यासी की तरह रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इसी आरोप के खिलाफ कंगना रनौत गुरु जग्गी वासुदेव के समर्थन में आईं। कंगना ने आरोप को बेतुका बताया है।
क्या बोलीं कंगना रनौत
हालांकि, प्रोफेसर की बेटियों को जब कोर्ट के सामने पेश किया गया तो उन्होंने दावा किया वो अपनी इच्छा से ही ईशा फाउंडेशन में रह रही हैं। कंगना रनौत ने इंस्टाग्राम पर स्टोरी पोस्ट करते हुए लिखा- क्या बेतुका आरोप है। सद्गुरु जी कभी भी विवाह के खिलाफ नहीं हैं, आश्रम के मंदिर में कई लोगों की शादी हुई है। आश्रम में रहने वाले तमाम वालंटियर्स शादी करना पसंद करते हैं।
कंगना ने डीएमके सरकार पर उठाया सवाल
कंगना ने एक और स्टोरी पोस्ट करते हुए उन बेटियों (जिनके पिता ने आरोप लगाए हैं) का एक यूट्यूब वीडियो शेयर करते हुए लिखा- "ये दो ब्रह्मचारिणी हैं जिन्होंने एक दशक से अधिक समय पहले सांसारिक जीवन को त्यागने और साधना के लिए अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया था, उनके पिता ने सद्गुरु के खिलाफ बच्चियों की किडनैपिंग का आपराधिक मामला दर्ज करवाया, लेकिन जब लड़कियों को अपने घर वापस जाने के लिए कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया और आश्रम में खुशी-खुशी रहने लगीं और अब अचानक से डीएमके सरकार ईशा फाउंडेशन को इस मामले में परेशान कर रही है, जैसे यह कोई ताजा बात है। शर्मनाक।"
क्यों ईशा फाउंडेशन पहुंची थी पुलिस की टीम?
मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से सद्गुरु के खिलाफ सभी दर्ज आपराधिक मामलों के खिलाफ रिपोर्ट मांगी थी जिसके बाद एक अक्टूबर को 150 पुलिसकर्मियों की एक टीम ईशा फाउंडेशन पहुंची।