रोचक तथ्य: विधान सभा में लल्लू ने दागे सवालों के गोले तो पांच साल तक सिले रहे गंगा के होठ
जनता चुनाव के जरिए नेताओं को अपना प्रतिनिधि चुनती है ताकि उसकी आवाज को सदन में जनप्रतिनिधि जोरदार तरीके से उठा सकें, लेकिन हकीकत जानकर आप हैरान हो जाएंगे। पीआरएस पर दिए गए आंकड़े विधायक जी...
जनता चुनाव के जरिए नेताओं को अपना प्रतिनिधि चुनती है ताकि उसकी आवाज को सदन में जनप्रतिनिधि जोरदार तरीके से उठा सकें, लेकिन हकीकत जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
पीआरएस पर दिए गए आंकड़े विधायक जी की कक्षा यानी सदन का रिपोर्ट कार्ड बता रहे हैं। कक्षा में उपस्थिति तो अच्छी रही, लेकिन प्रश्न पूछने के मामले में कइयों के मुहं कभी कभार ही खुले। बता दें पीआरएस एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य 'भारत में विधायी प्रक्रिया को बेहतर तरीके से सूचित करना, अधिक पारदर्शी और सहभागितापूर्ण' बनाना है। यह विधायी और नीतिगत मुद्दों पर शोध सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न राजनितिक दलों के सांसदों के साथ मिलकर काम करता है।
आंकड़ों की बात करें तो पिछले 5 साल में सदन में सरकार से सवाल पूछने के मामले में तमकुही राज से विधायक व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू अव्व्ल रहे। लल्लू की सदन में उपस्थिति 88 फीसद रही और उन्होंने 141 सवाल दागे।
स्रोत: पीआरएस
उपस्थिति के मामले में अव्वल रहे कुशीनगर के बीजेपी विधायक रजनीकांत मणि। उनकी उपस्थित 94 फीसद रही और सवाल पूछने में भी जिले के विधायकों में दूसरे नंबर पर हैं। उन्होंने 44 बार जनता से जुड़े मुद्दों को सदन में उठाया।
यहां के विधायकों में सदन में सबसे कम रहने वाले खड्डा के एमएलए जटाशंकर त्रिपाठी 37 प्रश्न पूछे। वहीं, हाटा के विधायक पवन केडिया ने भी सरकार से 16 प्रश्न पूछे। इनकी उपस्थित भी 85 फीसद रही। सदन में 83 फीसद उपस्थिति दर्ज कराने वाले रामकोला के विधायक रामानंद बौद्ध अक्सर मौन ही रहे। पूरे पांच साल में केवल एक ही प्रश्न पूछ पाए।
अगर पडरौना के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्या की बात करें तो उनका डेटा वेबसाइट पर नहीं मिला, जबकि फाजिलनगर के विधायक गंगा की सदन में मौजूदगी तो 83 फीसदी रही, लेकिन प्रश्न पूछने के मामले में फिसड्डी निकले।
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