आर अश्विन ने 'दोस्त-सहयोगी' वाले बयान पर लिया यूटर्न, बोले- पहले दोस्ती की गुंजाइश होती थी, लेकिन अब...
आर अश्विन ने अपने एक पुराने 'दोस्त-सहयोगी' वाले बयान पर यूटर्न लिया है और कहा है कि पहले दोस्ती की गुंजाइश ज्यादा होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि सभी के अंदर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
जून के दूसरे सप्ताह में भारतीय टीम मैनेजमेंट की इस वजह से आलोचना हुई थी कि उन्होंने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2023 के फाइनल में आर अश्विन को नहीं खिलाया था। प्लेइंग इलेवन से ड्रॉप होने के बाद ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने ड्रेसिंग रूम की एक दुखद सच्चाई को उजागर किया था। उन्होंने कहा था कि टीम में अब कोई फ्रेंडशिप नहीं है, बल्कि हम सब कलीग (colleagues) हैं और हर एक पोजिशन के लिए, हर एक फॉर्मेट में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। अब अश्विन ने इस वायरल बयान पर यूटर्न लिया है और कहा है कि उनके शब्दों का गलत मतलब निकाला गया।
डब्ल्यूटीसी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार के बाद भारतीय टीम के लंदन से लौटने के कुछ दिनों बाद आर अश्विन ने इंडियन एक्सप्रेस को इंटरव्यू दिया था। उस दौरान अश्विन से पूछा गया था कि क्या उन्होंने अपने किसी साथी से बात की या ड्रॉप होने के बाद ड्रेसिंग रूम के अंदर दोस्तों से समर्थन मांगा था? दिग्गज स्पिनर ने इस सवाल के जवाब में कहा था, ''यह एक गहरा विषय है। यह एक ऐसा युग है, जहां हर कोई एक सहयोगी है। एक समय था, जब क्रिकेट खेला जाता था, आपके सभी साथी दोस्त थे। अब, वे सहकर्मी हैं। इसमें एक बड़ा अंतर है, क्योंकि यहां लोग खुद को आगे बढ़ाने के लिए हैं। अपने दाएं या बाएं बैठे किसी अन्य व्यक्ति के आगे बढ़ाने के लिए नहीं। इसलिए किसी के पास यह कहने का समय नहीं है, 'ठीक है, बॉस आप क्या कर रहे हैं'?"
यह कमेंट बाद में क्रिकेट जगत में वायरल हो गया और भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने अश्विन पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी, जबकि युवा पृथ्वी शॉ ने क्रिकबज के साथ बातचीत के दौरान इसे स्वीकार किया था। हालांकि, अब 36 वर्षीय स्पिनर ने खुलासा किया है कि 'दोस्त-सहयोगी' वाले बयान को लोगों ने गलत तरीके से पढ़ा था। जब टाइम्स ऑफ इंडिया ने उनसे पूछा कि क्या उनका मतलब यह है कि उनकी राय टीम में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का परिणाम है, जिससे टीम का माहौल खराब हो रहा है, तो अश्विन ने स्पष्ट किया कि टीम के साथियों के बीच दोस्ती पहले लंबे दौरों के कारण संभव थी, लेकिन खिलाड़ियों के पूरे समय क्रिकेट में व्यस्त रहने के कारण सभी प्रारूपों में खेलना और प्रतिस्पर्धी भावना को जीवित रखने पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
उन्होंने कहा, "मैंने जो कहा और लोग जो समझ रहे हैं, वह बिल्कुल अलग है। मेरे कहने का मतलब यह था कि पहले दौरे लंबे होते थे तो दोस्ती की गुंजाइश ज्यादा होती थी, लेकिन इन दिनों हम लगातार खेल रहे हैं, अलग-अलग प्रारूप, अलग-अलग टीमें। एक बात पर मेरा हमेशा से विश्वास रहा है कि जब आप अलग-अलग टीमों के लिए खेल रहे हों तो दोस्त बने रहना बहुत मुश्किल होता है। प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने के लिए आपको प्रतिस्पर्धी भावना को जिंदा रखना होगा। जब आप आईपीएल खेलते हैं, तो तीन महीने के लिए आपके (अंतरराष्ट्रीय) टीम के साथी आपके विरोधी बन जाते हैं। जब आप अलग-अलग टीमों के लिए इतना खेलते हैं तो मैं यह नहीं कह रहा हूं कि दोस्ती नहीं होती, लेकिन यह बहुत मुश्किल है, लेकिन फिर यह दुनिया का तरीका है - बदलता परिदृश्य - और मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ भी नेगेटिव है।"
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