अश्विन ने किया खुलासा, एक्शन बदलने के लिए होना पड़ा था मजूबर; खत्म हो सकता था करियर
टीम इंडिया के दिग्गज ऑफ स्पिनर आर अश्विन का कहना है कि उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि ऑस्ट्रेलिया सीरीज मेरी आखिरी सीरीज हो सकती है, क्योंकि वे गेंदबाजी एक्शन बदलने जा रहे थे।
ICC World Test Championship 2023 के फाइनल को खत्म हुए एक सप्ताह से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक इस बात पर डिबेट जारी है कि आर अश्विन को प्लेइंग इलेवन में होना चाहिए था। अगर वे प्लेइंग इलेवन में होते तो नतीजा कुछ और हो सकता था। हालांकि, इस नंबर वन टेस्ट बॉलर को बाहर बैठना पड़ा। वहीं, टीम इंडिया लगातार दूसरा फाइनल हार गई।
हालांकि, अश्विन, वर्तमान में टेस्ट इतिहास में नौवें सबसे अधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं, जो आसानी से हार नहीं मानते हैं। वास्तव में, उन्होंने अपने करियर के दौरान अपने एक्शन के साथ प्रयोग किया, यहां तक कि लेग-स्पिन गेंदबाजी भी की, ताकि तेजी से विकसित हो रहे क्रिकेट परिदृश्य की बदलती मांगों को पूरा किया जा सके। कुछ ही दिन में वह एक्शन बदलकर टेस्ट क्रिकेट खेलते हुए नजर आए।
अश्विन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी किया है, उस पर मुझे बहुत गर्व है, सिर्फ विकेटों या रनों की वजह से नहीं, बल्कि मैं लगातार खुद को इस खेल के लिए तैयार करने में सक्षम रहा हूं। एक चीज जो वास्तव में क्रिकेटरों या किसी को भी उम्रदराज होने पर परेशान करती है, वह है असुरक्षा। मेरा मानना है कि जब क्रिकेटर बड़े हो जाते हैं और जब वे अनुभवी हो जाते हैं तो यह कैसे बंद हो जाता है; आप किसी चीज को इतना कस कर पकड़ना चाहते हैं कि अंत में आप अपनी ही गर्दन तोड़ लेते हैं।"
अश्विन ने आगे बताया कि कैसे पिछले साल बांग्लादेश दौरे के दौरान उन्हें घुटने में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण उन्हें अपने टेस्ट करियर के लिए डर लग रहा था। 36 वर्षीय ने चुनौती से निपटने के लिए अपना गेंदबाजी एक्शन ही बदल लिया। उन्होंने बताया, "जब मैं बांग्लादेश से वापस आया तो मैंने अपनी पत्नी से कहा कि ऑस्ट्रेलिया सीरीज मेरी आखिरी सीरीज बन सकती है। मेरे घुटने में कुछ समस्या थी। मैंने कहा कि मैं अपने एक्शन में बदलाव करने जा रहा हूं, क्योंकि इससे वास्तव में काफी गति मिली और इसके साथ जब मैं लैंड रहा था तो मेरा घुटना थोड़ा मुड़ रहा था। मैंने टी20 विश्व कप के कारण वर्कलोड मैनेज नहीं किया था, लेकिन जिस तरह से गेंद आ रही थी, मैं उससे खुश नहीं था।"
उन्होंने आगे बताया, "दूसरे टेस्ट तक (बांग्लादेश में) दर्द होने लगा। यह वास्तव में सूज गया था। ऐसे में क्या ठीक सोच रहा हूं और तो ये मैं कैसे करूं? क्योंकि मैंने तीन-चार साल तक वास्तव में अच्छी गेंदबाजी की, है न? मेरा एक्शन बदलना, यह सबसे बेवकूफी भरा और हास्यास्पद काम है। बावजूद इसके, मैं वापस आया और कहा, सुनो, घुटने पर बहुत भार है, यह बदलने का समय है और मैं अपने एक्शन पर वापस जा रहा हूं जिससे मैं 2013-14 में गेंदबाजी करता था।"
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अश्विन ने बताया कि इस दर्द को दूर करने के लिए उन्होंने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले इंजेक्शन लिया था। उन्होंने बताया, "इसलिए मैं बैंगलोर गया, मुझे उस समय एक इंजेक्शन लेना था, इसलिए, मैंने अपना एक्शन बदल दिया। मैंने गेंदबाजी शुरू की और मेरे घुटने का दर्द दूर हो गया। मैंने नागपुर में तीन-चार दिन अभ्यास किया और मैं बिना उस एक्शन के कोई खेल खेले बिना ही टेस्ट मैच में चला गया। टेस्ट के पहले दिन तीन-चार ओवर तक मुझे गेंदबाज की तरह महसूस भी नहीं हुआ था, लेकिन अनुभव के कारण मैं इसके साथ आगे बढ़ने में सफल रहा।"
उनका मानना था कि ये ऑस्ट्रेलिया सीरीज उनकी आखिरी सीरीज हो सकती है, क्योंकि नए या यूं कहें कि पुराने एक्शन के साथ अगर सफल नहीं होते तो शायद उनको ड्रॉप किया जा सकता था, क्योंकि एक स्पिनर को कम से कम भारत में सफल होना तो लाजमी है। अश्विन को सफलता मिली भी और वे बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में संयुक्त रूप से प्लेयर ऑफ द सीरीज अवॉर्ड हासिल करने में सफल रहे।
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