Happy Birthday Mohammed Siraj: रुमाली रोटी पलटाने में जल जाते थे हाथ, मोहम्मद सिराज से मियां मैजिक तक का सफर रहा है कितना मुश्किल
टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज 30 साल के हो गए हैं। सिराज ने 2020 में सोच लिया था कि अगर वह इस साल क्रिकेट में कुछ बड़ा नहीं कर पाए, तो क्रिकेट छोड़ देंगे, लेकिन फिर उनकी किस्मत पलट गई।
मोहम्मद सिराज अपना 30वां जन्मदिन आज यानी कि 13 मार्च को सेलिब्रेट कर रहे हैं। सिराज का जन्म 13 मार्च 1994 को हैदराबाद में हुआ था और उन्हें अपने शहर से बहुत ज्यादा लगाव भी है। सिराज ने अभी तक भारत की ओर से 27 टेस्ट, 41 वनडे और 10 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। सिराज ने तीनों फॉर्मेट में क्रम से 74, 68 और 12 विकेट चटकाए हैं। बीसीसीआई टीवी पर सिराज का एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने स्ट्रगल के बारे में और अपने शहर हैदराबाद के बारे में बात की है।
मोहम्मद सिराज ने इस वीडियो की शुरुआत में कहा, 'मैं 2020 में सोचा था कि खुद को ये आखिरी साल दे रहा हूं और इसके बाद क्रिकेट ही छोड़ दूंगा। तो अभी हम निकले हैं हैदराबाद के शहर में, मेरी पसंदीदा चाय की दुकान, ले चलता हूं, जितना भी मेरा लाइफ में स्ट्रेस है, वहां जाकर खत्म हो जाता है। अगर मैंने स्ट्रगल नहीं देखा होता तो मुझे सक्सेस की वैल्यू पता नहीं होती।'
सिराज ने आगे कहा, 'तो चलते हैं, जहां मै चाय पीता था, जहां मैं समय बिताता था, जहां मैं फ्रेंड्स के साथ क्रिकेट खेलता था... जब मैं छोटा था, तो ये पूरा पहाड़ी इलाका था। ये सब कुछ नहीं था, बस पहाड़ थे यहां पर। जैसे ही मैं हैदराबाद लैंड करता हूं मेरे दिमाग में यही होता है कि मैं पहले घर जाऊंगा फिर ईदगाह जाऊंगा। मैं दुनिया में कहीं भी जाऊं, मुझको इतना सुकून नहीं मिलता। लेकिन यहां जब आता हूं तो मुझे इतना सुकून मिलता है, ना जिसकी कोई हद नहीं। हैदराबाद आता हूं तो मैं यहां आता ही हूं।'
सिराज ने इस दौरान कहा, 'जहां मै खेलकर बड़ा हुआ, वहां भी जाता ही हूं। मुझे गाड़ी में बैठकर सैड सॉन्ग सुनना पसंद है। जब मैं 18 साल का था, तो मैं कैटरिंग सेक्टर में जॉब के लिए जाता था। घर वाले कहते थे कि पढ़ बेटा पढ़, लेकिन मुझे क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता था। हम लोग रेन्ट पर रहते थे, डैड अकेले थे, कमाने वाले। रेंट का देखना होता था, 100-200 मिल जाते थे, तो खुश हो जाते थे, घर में 150 रुपये दिए, तो भी 50 रुपये अपने लिए बच जाते थे। बहुत सेंसटिव टॉपिक है ये। मेरे हाथ जल जाते थे, रुमाली रोटी जो आती थी, उसको पलटाना पड़ता था। तो पलटाने के चक्कर में हाथ जल जाता था। ऐसे ही बड़े नहीं हुए हैं, भाई स्ट्रगल करके बड़े हुए हैं। पहले अपने पास एक डैड का ऑटो था और एक प्लैटिना मोटरसाइकिल थी। वो भी धक्का देकर स्टार्ट करना पड़ता था।'
सिराज के दोस्तों ने बताया कि उनमें इंडियन क्रिकेटर बनने के बाद कोई बदलाव नहीं हुआ है। सिराज ने 2020 के बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा। सिराज ने अंत में कहा कि जब आप मेहनत करते हो, तो आपको फल जरूर मिलता है, एक साल बाद मिले, दो साल बाद मिले या फिर तीन साल बाद मिले, फल जरूर मिलता है।
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