T20 World Cup 2024 में 'गुटबाजी' ने कराया पाकिस्तान का बंटाधार, 3 धड़ों में बंटी हुई थी टीम
T20 World Cup 2024 में गुटबाजी के कारण पाकिस्तान का बंटाधार हुआ। पाकिस्तान की टीम 3 धड़ों में बंटी हुई थी। एक तरफ बाबर आजम थे, दूसरी तरफ शाहीन अफरीदी और तीसरे लीडर मोहम्मद रिजवान थे।
पाकिस्तान की टीम टी20 वर्ल्ड कप 2024 के सुपर 8 में भी नहीं पहुंच पाई तो टीम की आलोचना हुई और टीम पर आरोप लगे कि टीम में कुछ ग्रुपिंग यानी गुटबाजी है और खिलाड़ी एकजुट नहीं हैं। सीनियर खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। इससे टीम में बदलाव होने की संभावना थी। ऐसा जल्द हो सकता है, क्योंकि बोर्ड में भी कुछ बदलाव हो सकते हैं। इतना ही नहीं, चयन समिति के दो सदस्यों को हटा भी दिया गया है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के सूत्रों ने बताया है कि बाबर आजम को बाकी खिलाड़ियों से ज्यादा समर्थन नहीं मिला। इसका असर टीम पर पड़ा।
दरअसल, टी20 वर्ल्ड कप 2024 से कुछ समय पहले बाबर आजम को फिर से टी20 टीम की कप्तानी सौंप दी गई थी, जबकि 2023 के वनडे विश्व कप के बाद उनसे कप्तानी छीन ली गई थी और शाहीन शाह अफरीदी को हैंडओवर कर दी गई थी। हालांकि, एकाएक बोर्ड के चेयरमैन बदले तो फिर बाबर आजम कप्तान बनाए गए। इससे टीम में ग्रुपिंग शुरू हो गई। कप्तान बाबर आजम के लिए सबसे बड़ा चैलेंज भी यही था कि उनको कप्तानी फिर से मिलने पर टीम को एकजुट करना है, लेकिन उनसे ऐसा नहीं हो पाया। शाहीन अफरीदी कप्तानी से हटाए जाने पर निराश थे।
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बाबर आजम ने भी शाहीन का समर्थन नहीं किया था तो शाहीन ने भी बाबर आजम का पूरी तरह से सपोर्ट नहीं किया। वहीं, मोहम्मद रिजवान इस बात से नाखुश थे कि उनको कप्तानी के लायक नहीं समझा गया। पीटीआई को टीम के एक करीबी सूत्र ने बताया, "टीम में तीन ग्रुप हैं, एक का नेतृत्व बाबर आजम कर रहे हैं, दूसरे का शाहीन शाहीन अफरीदी और तीसरे का मोहम्मद रिजवान। इसमें मोहम्मद आमिर और इमाद वसीम जैसे सीनियर खिलाड़ियों की वापसी को जोड़ दें तो विश्व कप के लिए एक डिजास्टर तैयार हो चुका था।"
सूत्र ने आगे बताया, "इमाद और आमिर की वापसी ने उलझन को और बढ़ा दिया, क्योंकि बाबर के लिए इन दोनों से कोई सार्थक प्रदर्शन करवाना मुश्किल था, क्योंकि उन्होंने फ्रेंजाइजी बेस्ड लीगों को छोड़कर लंबे समय से शीर्ष स्तर की घरेलू या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेली थी। ऐसे भी उदाहरण थे जहां कुछ खिलाड़ी एक-दूसरे से बात नहीं कर रहे थे और उनमें से कुछ ने टीम के सभी ग्रुप लीडरों को खुश करने की भी कोशिश की।"
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पीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चेयरमैन मोहसिन नकवी विश्व कप से पहले ही टीम की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ थे और उनके दाहिने हाथ, राष्ट्रीय चयनकर्ता और वरिष्ठ प्रबंधक वहाब रियाज ने उन्हें इस बारे में जानकारी दी थी। नकवी ने सभी खिलाड़ियों के साथ निजी तौर पर दो बैठकें कीं और उन्हें प्रोत्साहित किया और कहा कि वे अपनी समस्याओं को एक तरफ रखकर विश्व कप जीतने पर ध्यान दें और बाद में वे टीम की सभी गलतफहमियों को दूर कर देंगे, लेकिन जाहिर तौर पर चीजें ठीक नहीं हुईं।
अधिकारी ने बताया, "मैं बाबर का बचाव नहीं कर रहा हूं, लेकिन एक कप्तान को क्या करना चाहिए जब आपका प्रमुख गेंदबाज कमजोर यूएसए टीम के खिलाफ अंतिम ओवर में 15 रन भी नहीं बचा पाता और फुल टॉस पर एक चौका और छक्का खा जाता है या जब विश्व कप जीतने में मदद करने के लिए रिटायरमेंट से वापस लाया गया एक ऑलराउंडर फिटनेस समस्याओं के कारण बाहर बैठा हो। खिलाड़ियों के एजेंटों और सोशल मीडिया अभियान चलाने वाले कुछ पूर्व खिलाड़ियों सहित बाहरी तत्वों की भूमिका ने भी टीम में बढ़ते तनाव को कम करने में मदद नहीं की है।"
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सूत्र ने आगे दावा किया, "चेयरमैन निश्चित रूप से टीम में चीजों को साफ करने जा रहे हैं। उन्होंने बोर्ड में वरिष्ठ और मध्यम स्तर के कर्मचारियों के प्रदर्शन संबंधी मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब आप टीम और बोर्ड में प्रबंधन स्तर पर बड़े बदलाव देखेंगे।" वहीं, पीसीबी के एक अन्य सूत्र ने कहा, "नकवी खुद समस्याओं का सामना कर रहे हैं, क्योंकि वह बोर्ड का नेतृत्व करने के लिए सत्तारूढ़ सरकार की पसंद नहीं हैं। उन्हें अब विश्व कप की विफलता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें हटाने की मांग भी उठ रही है।"
कई विश्वसनीय सूत्रों ने ये भी पुष्टि की है कि नकवी बाबर आजम की कप्तानी पर तत्काल कोई फैसला नहीं लेंगे, क्योंकि पाकिस्तान अब नवंबर में अपनी अगली व्हाइट बॉल की सीरीज खेलेगा। नकवी के लिए एक अच्छी बात यह है कि पाकिस्तान को अब बांग्लादेश और इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर दो टेस्ट सीरीज खेलनी हैं और शान मसूद पहले से ही टेस्ट कप्तान हैं और जेसन गिलेस्पी के रूप में एक नया मुख्य कोच है, इसलिए उन्हें तत्काल बदलावों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। आमतौर पर पाकिस्तान क्रिकेट में विश्व कप अभियान में विफलता का मतलब है कि प्रमुखों को हटाया जाता है और बोर्ड बलि का बकरा ढूंढ़ता है, लेकिन इस बार क्रिकेट प्रशंसक और आलोचक भी पीसीबी पर टीम के पतन को रोकने के लिए कदम उठाने का दबाव बना रहे हैं।
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