क्या 'एडिलेड का भूत' नहीं छोड़ेगा टीम इंडिया का पीछा? रवि शास्त्री ने चेताया, बोले- दिमाग में ये होना चाहिए
- क्या 'एडिलेड का भूत' टीम इंडिया का पीछा नहीं छोड़ने वाला? पूर्व भारतीय हेड कोच रवि शास्त्री ने भारत को चेताया है। टीम इंडिया चार साल पहले एडिलेड में 36 रन पर ऑलआउट हो गई थी।
भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री का मानना है कि 2020 में एडिलेड में भारत का अपने न्यूनतम स्कोर पर सिमटना अब इतिहास की बात है लेकिन टीम इंडिया शुक्रवार से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जब दिन-रात्रि के टेस्ट में उतरेगी तो यह बात खिलाड़ियों के दिगाम में रहनी चाहिए। शास्त्री उस सीरीज में भारत के कोच थे। विराट कोहली की अगुआई में भारतीय टीम एडिलेड टेस्ट की दूसरी पारी में अपने सबसे कम 36 रन के स्कोर पर सिमट गई थी जिसे ऑस्ट्रेलिया ने आठ विकेट से जीता।
'टीम इंडिया के दिमाग में ये होना चाहिए'
भारत की इस हार के बाद ऑस्ट्रेलिया को सीरीज जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन मेहमान टीम ने शानदार वापसी करते हुए चार टेस्ट मैचों की सीरीज 2-1 से जीतकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर फिर कब्जा जमाया। शास्त्री ने आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) रिव्यू से कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह (एडिलेड में हार) कोई भूमिका निभाएगा लेकिन यह उनके दिमाग में होना चाहिए क्योंकि आप जानते हैं कि गुलाबी गेंद से चीजें बहुत तेजी से होती हैं।’’ पांच मैच की सीरीज में 1-0 से आगे चल रहा भारत भारत शुक्रवार से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट में मेजबान टीम से भिड़ेगा।
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'मैंने ड्रेसिंग रूम में भी यही कहा था'
शास्त्री ने कहा, ‘‘आपने महसूस किया होगा कि खेल के एक सत्र में अगर चीजें आपके अनुकूल नहीं होती और गेंदबाजी अच्छी होती है तो चीजें तेजी से हो सकती हैं।’’ शास्त्री ने कहा कि मैच में भारत की हार एक अजीब बात थी और उन्होंने अपने चार दशक के क्रिकेट में कभी गेंद को बल्ले का किनारा लेकर इतनी बार क्षेत्ररक्षकों के पास जाते नहीं देखा। उन्होंने कहा, ‘‘उन 36 रन के बाद हमने जो किया - जैसा कि मैंने उस समय कहा था - मैंने पहले कभी नहीं देखा था और मैंने ड्रेसिंग रूम में भी यही कहा था। मैंने खेलने के प्रयास में चूकने की जगह इतनी अधिक बार खेलने का प्रयास करते हुए बल्ले का किनारा लेते हुए नहीं देखा था।’’
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'उस दिन सिर्फ बल्लेबाजों का दुर्भाग्य'
शास्त्री ने कहा, ‘‘और मैंने लगभग 40 वर्षों तक क्रिकेट देखा है। और ईमानदारी से कहूं तो वह एक ऐसा सत्र था जिसमें शायद ही कोई खिलाड़ी खेला और गेंद को खेलने से चूका। अगर उसने कुछ भी किया तो गेंद बल्ले के किनारे पर जा लगी। गेंद बल्ले पर लगने से चूक नहीं रही थी। आप जानते हैं, गेंदबाज (दुर्भाग्यशाली) होते है... उस दिन यह सिर्फ बल्लेबाजों का दुर्भाग्य था।’’ भारत ने मेलबर्न में सीरीज बराबर की और सिडनी में संघर्षपूर्ण ड्रॉ खेला। चोटों से परेशान मेहमान टीम ने अजिंक्य रहाणे की अगुआई में ब्रिसबेन में सनसनीखेज जीत हासिल कर सीरीज में ऐतिहासिक जीत हासिल की।
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