क्या करुण नायर की होगी चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए टीम में एंट्री? नहीं छोड़ी आस
करुण नायर डोमेस्टिक क्रिकेट में जिस रफ्तार से रन बना रहे हैं, ऐसा लगता है कि सिलेक्टर्स उनके नाम पर कुछ विचार कर सकते हैं, क्या उनकी टीम इंडिया में वापसी होगी?
लंबे इंतजार और करीब तीन साल पहले मायूसी से भरी सोशल मीडिया पोस्ट लिखने के बाद करुण नायर ने क्रिकेट के मैदान पर शानदार वापसी करते हुए विजय हजारे ट्रॉफी में पांच शतक लगाए और कहा कि आठ साल बाद भारत की जर्सी पहनने का सपना अभी भी उनके भीतर पल रहा है। नायर ने विदर्भ के लिये विजय हजारे ट्रॉफी में 752 रन बनाए। ये वही करुण नायर हैं जिन्होंने तीन साल पहले लिखा था, ‘डियर क्रिकेट, प्लीज मुझे एक मौका और दे दो।’ क्या इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज और आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए उन्हें मौका मिलेगा जब सिलेक्टर्स भारत की वनडे टीम चुनने बैठेंगे? यह तो समय ही बतायेगा लेकिन उन्हें सपना देखने का पूरा हक है।
नायर ने कहा, ‘भारत के लिए खेलने का सपना हमेशा रहा है। वह सपना अभी भी पल रहा है। हम इसी के लिए खेलते हैं। इकलौता लक्ष्य देश के लिए खेलना है।’ अपने करियर में कई उतार चढ़ाव झेल चुके नायर बहुत आगे की नहीं सोचना चाहते। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह मेरी तीसरी वापसी है। मुझे इस लय को जारी रखना है। हर मैच में रन बनाने हैं। मैं इतना ही कर सकता हूं। सब कुछ मेरे हाथ में नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘जब तक चयन नहीं होता, यह सपना ही है। लेकिन मैं एक समय पर एक ही पारी पर फोकस करना चाहूंगा।’
यह पूछने पर कि उन्होंने ऐसा क्या किया कि वापस रन बन रहे हैं, 33 साल के नायर ने कहा, ‘मैंने कुछ अलग नहीं किया। कोई राज नहीं है। यह सालों की मेहनत और सब्र का फल है। हर दिन मैं एक नई चुनौती की तरह लेता हूं और कोशिश करता हूं कि अपना बेस्ट दे सकूं।’ एक ऐसा भी समय था जब वह अपने भविष्य को लेकर आशंकित थे क्योंकि घरेलू मैचों और आईपीएल में रन नहीं बन रहे थे।
इस बारे में नायर ने कहा, ‘अगर मैं कहूं कि डरा नहीं था तो वह झूठ होगा। हर किसी को ऐसा ही महसूस होता होगा लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा कि मेरा करियर खत्म हो जाएगा। मैं इतना ही सोचता था कि यह किस दिशा में जा रहा है, मैं क्या कर रहा हूं, ऐसा क्यो हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘उस दौर से बाहर आने में समय लगा और फिर मैंने खुद से कहा कि नए सिरे से आगाज करना होगा। मैंने खुद को कुछ समय दिया और अपने बारे में और अपने खेल के बारे में काफी कुछ सीखा। मैं उन सीखों के लिए शुक्रगुजार हूं, उनके बिना यहां इस स्थिति में नहीं होता।’
नायर ने यह भी कहा कि कर्नाटक छोड़कर विदर्भ के लिए खेलने का फैसला भी सही रहा। उन्होंने कहा, ‘मैं शुक्रगुजार हूं कि मुझे विदर्भ के लिए खेलने का मौका मिला। उन्होंने मुझे जो मंच और माहौल दिया, उसके बिना मैं यहां तक नहीं पहुंचता।’
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