सत्ता संग्राम: छत्तीसगढ़ में क्या कांग्रेस का खेवनहार बनेगा एसटी वोटबैंक?
छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ दशक से सत्तारूढ़ भाजपा औसतन 55 फीसदी वोट हासिल करती रही है। राज्य में 2003, 2008 और 2013 में हुए विधानसभा चुनावों के विश्लेषण से साफ है कि भाजपा के कुल वोट प्रतिशत में कोई...
छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ दशक से सत्तारूढ़ भाजपा औसतन 55 फीसदी वोट हासिल करती रही है। राज्य में 2003, 2008 और 2013 में हुए विधानसभा चुनावों के विश्लेषण से साफ है कि भाजपा के कुल वोट प्रतिशत में कोई खास कमी नहीं आई है। लेकिन एसटी वोट बैंक भाजपा से लगातार छिटकता दिख रहा है। जबकि कांग्रेस ने इस दौरान अनूसूचित जनजाति (एसटी) के बीच अपना जनाधार मजबूत किया है। अब देखना होगा कि क्या इस बार एसटी वोटबैंक कांग्रेस का खेवनहार बन पाएगा।
हिन्दुस्तान टाइम्स के विश्लेषण के अनुसार कभी भाजपा की मजबूती का आधार रहीं एसटी आरक्षित सीटों पर अगर कांग्रेस को बढ़त का यह रुझान इस बार भी कायम रहा तो विपक्षी दल को बड़ा फायदा हो सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस अनुसूचित जनजाति बहुल इलाकों पर खास ध्यान भी दे रही है। गौरतलब है कि राज्य में 2003 में एसटी के लिए आरक्षित सीटें 34 थीं। लेकिन 2008 में उन्हें घटाकर 29 कर दिया गया। उसके बाद 2013 में कांग्रेस ने भाजपा की तुलना में अधिक एसटी आरक्षित सीटें जीतीं।
दोनों दलों के लिए इनके मायने
राज्य में एसटी आबादी अधिक होने के कारण उनके लिए आरक्षित सीटों का प्रतिशत भी अधिक है। यही कारण है कि दोनों ही दलों के लिए ये सीटें मायने रखती हैं। 90 में से 63 सीटें ऐसी हैं, जहां 50 फीसदी से कम एसटी आबादी है। 2008 के चुनाव में भाजपा इन सीटों पर कांग्रेस से 2.3 फीसदी आगे थी, लेकिन 2013 में कांग्रेस इन सीटों पर भाजपा से 4.3 फीसदी आगे निकल गई। यानी कांग्रेस ने एसटी आरक्षित अधिक सीटें जीतीं। ऐसे में देखना होगा कि क्या वाकई कांग्रेस के लिए एसटी का बढ़ता जनाधार फायदेमंद होगा?
जमीन, जंगल से दूर हो गई भाजपा
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण राय कहते हैं, 2003 में एसटी आबादी ने ही भाजपा को सत्ता दिलाई। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें लगता था कि कांग्रेस ने उनका इस्तेमाल केवल वोट बैंक के लिए किया। हालांकि, भाजपा ने ‘डेवलपमेंट एजेंडा’ लागू कर दिया, जिसके बाद एसटी आबादी को लगने लगा कि जमीन, जंगल और मानवाधिकार में उसकी रूचि नहीं है। इसलिए भाजपा इस आबादी की पहली पसंद नहीं रही।
एसटी के बीच कांग्रेस का जनाधार बढ़ा
2003 में 34 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थीं, तब भाजपा ने 25 और कांग्रेस ने 9 सीटें जीतीं
2008 में 29 सीटें ही एसटी के लिए आरक्षित थी गईं, तब भाजपा ने 19 एवं कांग्रेस ने 10 सीटें जीती थीं।
2013 में कांग्रेस को आरक्षित सीटों पर खासी सफलता मिली, उसे 18 सीटें मिली जबकि भाजपा 11 पर सिमटी
50 फीसदी से अधिक एसटी आबादी वाली सीटों पर कांग्रेस का वोट प्रतिशत तेजी से बढ़ा
25 फीसदी से कम एसटी आबादी वाली सीटों पर भाजपा को ज्यादा फायदा होता रहा है
2.99 करोड़ के करीब है छत्तीसगढ़ की कुल आबादी
31.8 फीसदी आबादी में इसमें एसटी समुदाय की
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