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अबूझमाड़ में सेना के युद्धाभ्यास रेंज के लिए खाली कराना होगा 52 गांव, देना होगा भारी मुआवजा

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगल में 54,543 हेक्टेयर भूमि में फैले भारतीय सेना की प्रस्तावित युद्धाभ्यास रेंज के लिए 9,601 लोगों की आबादी वाले 52 गांवों को खाली करना होगा। एक आंतरिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।

Subodh Kumar Mishra हिन्दुस्तान टाइम्स, नारायणपुर, रितेश मिश्राFri, 20 Sep 2024 05:29 PM
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छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगल में 54,543 हेक्टेयर भूमि में फैले भारतीय सेना की प्रस्तावित युद्धाभ्यास रेंज के लिए 9,601 लोगों की आबादी वाले 52 गांवों को खाली करना होगा। नारायणपुर जिला प्रशासन के एक आंतरिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।

नारायणपुर जिला कलेक्टर की एक आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना की रेंज नारायणपुर जिले की कोहकामेटा तहसील में 13 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत 52 गांवों को कवर करेगी। प्रस्तावित क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील है। इसलिए विस्तृत सर्वेक्षण करने के लिए सरकार की ओर से ड्रोन, पुलिस बल, वन विभाग के कर्मियों और राज्य स्तर से अनुभवी वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात करने का आदेश जारी करना उचित होगा। इस विस्तृत सर्वेक्षण कार्य के लिए धन राज्य सरकार द्वारा आवंटित किया जाना चाहिए।

7 अगस्त को छत्तीसगढ़ राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने ओरछा तहसील के सोनपुर-गरपा क्षेत्र में अबूझमाड़ जंगल में सेना की युद्धाभ्यास रेंज की स्थापना के संबंध में जिला कलेक्टर को पत्र लिखा था। इसने 13 सितंबर 2017, 21 नवंबर 2017 और 17 फरवरी 2021 के अपने पिछले पत्रों का हवाला दिया और कलेक्टर से सेना रेंज के बारे में तुरंत जानकारी भेजने का अनुरोध किया। इस कदम को युद्धाभ्यास रेंज स्थापित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा गया।

अबूझमाड़ महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बीच फैला है। इसे 'अज्ञात पहाड़ी' के रूप में जाना जाता है, क्योंकि ब्रिटिश काल के बाद से 6,000 वर्ग किमी के घने जंगल का सर्वेक्षण नहीं किया गया है। यह जंगल माओवादी गतिविधियों का केंद्र है। कहा जाता है कि सीपीआई (माओवादी) के लगभग एक दर्जन वरिष्ठ कैडर अभी भी वहां डेरा डाले हुए हैं। पिछले छह महीनों में अबूझमाड़ में माओवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ में वृद्धि हुई है।

जिला प्रशासन की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रस्तावित भारतीय सेना युद्धाभ्यास रेंज के सभी गांव सर्वेक्षण रहित हैं और स्थानीय निवासियों के पास अपने घर, बगीचे और खेत हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, "चूंकि गांवों का सर्वेक्षण नहीं किया गया है, इसलिए जमीन पर रहने वालों को भूस्वामी माना जाना चाहिए। विस्थापन के मामले में पुनर्वास उपायों के साथ-साथ मुआवजे का फैसला उच्च स्तर पर किया जाना चाहिए।"

जिला प्रशासन के अनुसार, इन गांवों में 2,417 परिवार (राशन कार्ड के अनुसार) हैं, जिनकी कुल आबादी 9,601 है। घरों की संख्या 2,417 है। पशु शेडों की संख्या 2,417, कृषि भूमि लगभग 4,834 हेक्टेयर और आवासीय भूमि 97 हेक्टेयर है। रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरी जमीन का अनुमानित मुआवजा लगभग 70,28,64,000 रुपये है।

सेना के एक अधिकारी ने कहा कि सेना की युद्धाभ्यास रेंज टैंक प्रशिक्षण और विभिन्न युद्धक्षेत्र परिदृश्यों के अनुकरण के लिए एक समर्पित क्षेत्र प्रदान करती है। इससे सैनिकों को सुरक्षित वातावरण में अपने कौशल को सुधारने में मदद मिलती है।

छत्तीसगढ़ के खुफिया अधिकारियों का मानना ​​है कि सीपीआई (माओवादी) के अधिकांश वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र सीमा और नारायणपुर-महाराष्ट्र-बीजापुर ट्राइजंक्शन के पास अबूझमाड़ के दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में डेरा डाले हुए हैं।

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