Hindi Newsकरियर न्यूज़UPSESSB: Principal recruitment posts cannot be filled through transfer High Court orders selection board

UPSESSB : प्रधानाचार्य भर्ती के पदों को ट्रांसफर से नहीं भर सकते, हाईकोर्ट का आदेश

  • हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को प्रधानाचार्य के रिक्त पदों को भरने के लिए अधियाचन भेजने के बाद उन पदों को ट्रांसफर से नहीं भरा जा सकता है। कोर्ट ने यह आदेश ट्रांसफर आदेशों को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर दिया है।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, विधि संवाददाता, प्रयागराजThu, 3 Oct 2024 10:12 AM
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हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को प्रधानाचार्य के रिक्त पदों को भरने के लिए अधियाचन भेजने के बाद उन पदों को स्थानांतरण से नहीं भरा जा सकता है। प्रधानाचार्य पद की रिक्तियां बोर्ड या आयोग से ही भरी जा सकती हैं। कोर्ट ने यह आदेश स्थानांतरण आदेशों को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर दिया है।

एटा के राजीव कुमार और हरिशरण ने याचिकाएं दाखिल कर उनके संस्थान में स्थानांतरण से प्रधानाचार्य के पद को भरने को चुनौती दी थी। याची संस्थान में वरिष्ठतम शिक्षक थे और कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे। याचियों की दलील थी कि उनके संस्थान में प्रधानाचार्य पद की भर्ती के लिए बोर्ड को अधिसूचित किया जा चुका था। ऐसे में स्थानांतरण के माध्यम से पदों को नहीं भरा जा सकता। राजीव कुमार 2019 से स्वर्गीय गया प्रसाद वर्मा स्मारक कृषक इंटर कॉलेज में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे। वहीं, हरि शरण 2015 से सर्वोदय इंटर कॉलेज, नजीरपुर, जिला एटा में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे। दोनों मामलों में रिक्तियों को 2019 में बोर्ड को अधिसूचित किया गया था। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने प्रशांत कुमार कटियार बनाम यूपी राज्य में पूर्ण पीठ और हरि पाल सिंह बनाम यूपी राज्य में डिवीजन बेंच के फैसलों का हवाला दिया। न्यायालय ने दोनों मामलों में 28 जून, 2024 के स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया।

हाईकोर्ट को चुनाव याचिका के दाखिले में देरी की माफी का हक नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 81 के तहत दाखिल चुनाव याचिका की मियाद 45 दिन नियत है। कोर्ट इस धारा का पालन न करने पर याचिका खारिज कर देगी। कोर्ट ने कहा, इस कानून के तहत दाखिल चुनाव याचिका में मियाद कानून लागू नहीं होता। कोर्ट को याचिका दाखिल करने में हुई देरी की माफी देने का अधिकार नहीं है। चुनाव याचिका सुनने वाली हाईकोर्ट संवैधानिक कोर्ट नहीं होती। इसके लिए उसे अंतर्निहित शक्तियां नहीं प्राप्त हैं। वह जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत फैसला देगा। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने प्रहलाद सिंह की याचिका पर दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने एमएलसी योगेश चौधरी के निर्वाचन की वैधता को चुनौती देने के लिए दाखिल प्रहलाद सिंह की चुनाव याचिका खारिज कर दी है।

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