Hindi Newsकरियर न्यूज़There is no librarian in 171 colleges of UP for 14 years, now there will be recruitment on 110 posts

यूपी के 171 कॉलेजों में 14 साल से लाइब्रेरियन नहीं, अब 110 पदों पर होगी भर्ती

प्रदेश के 171 राजकीय महाविद्यालयों में 14 साल से रिक्त लाइब्रेरियन के 110 पदों पर भर्ती की तैयारी चल रही है। शिक्षा निदेशालय में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से यूजीसी के बदले नियमों के अनुरूप असिस्टेंट प्रोफेसर (लाइब्रेरी) पदनाम के साथ नियमावली तैयार की जा रही है।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, प्रयागराज, मुख्य संवाददाताThu, 26 Dec 2024 06:09 AM
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यूपी के 171 कॉलेजों में 14 साल से लाइब्रेरियन नहीं, अब 110 पदों पर होगी भर्ती

प्रदेश के 171 राजकीय महाविद्यालयों में 14 साल से रिक्त लाइब्रेरियन (पुस्तकालयाध्यक्ष) के 110 पदों पर भर्ती की तैयारी चल रही है। शिक्षा निदेशालय में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के बदले नियमों के अनुरूप असिस्टेंट प्रोफेसर (लाइब्रेरी) पदनाम के साथ नियमावली तैयार की जा रही है।

नियमावली का अंग्रेजी और हिन्दी में ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और इसे अंतिम रूप देते हुए जल्द ही शासन को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट से पास होने के बाद इन पदों पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयन किया जाएगा। इससे पहले आयोग की ओर से वर्ष 2005 और 2008 में इन पदों पर भर्ती निकाली गई थी।

राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर (लाइब्रेरी) की नियमावली बनने के साथ ही प्रदेश के 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में भी भर्ती का रास्ता साफ हो जाएगा। उच्च शिक्षा निदेशालय के अफसरों की मानें तो मामूली बदलाव के बाद एडेड डिग्री कॉलेजों में यही नियमावली लागू हो जाएगी। उदाहरण के तौर पर राजकीय महाविद्यालयों में नियुक्ति राज्यपाल करते हैं तो एडेड महाविद्यालयों में प्रबंध समिति के जरिए चयन होता है। वर्तमान में एडेड डिग्री कॉलेजों में तकरीबन 200 पद रिक्त हैं और यहां भी एक दशक से अधिक समय से चयन नहीं हो सका है।

शिक्षक तो कहीं बाबू संभाल रहे जिम्मेदारी

लंबे समय से लाइब्रेरियन की नियुक्ति नहीं होने के कारण कहीं शिक्षक तो कहीं बाबू जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसका असर महाविद्यालयों में पठन-पाठन पर भी पड़ रहा है। सबसे चिंताजनक स्थिति 331 सहायता प्राप्त महाविद्यालयों की है। यहां पहले प्रबंधक अपने स्तर से लाइब्रेरियन की भर्ती कर लिया करते थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लाइब्रेरियन को पहली जनवरी 1986 से यूजीसी की ओर से निर्धारित वेतनमान दिया जा रहा है। चूंकि यूजीसी का वेतनमान पाने वाले पदों पर प्रबंधन नियुक्ति नहीं कर सकता है। इसलिए सरकार ने 13 मई 2009 को इन कॉलेजों में लाइब्रेरियन की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। उसके बाद नवंबर 2012 में कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को नियुक्ति की जिम्मेदारी दी गई थी। नए आयोग का गठन होने के बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। अब नए आयोग के जरिए चयन होगा।

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