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Swami Vivekananda Jayanti Speech in Hindi : स्वामी विवेकानंद जयंती पर छोटा और सरल भाषण

  • Swami Vivekananda Jayanti Speech In Hidi : हर वर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। अगर आप इस अवसर पर स्पीच देने की योजना बना रहे हैं तो यहां से उदाहरण ले सकते हैं।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तानSat, 11 Jan 2025 03:00 PM
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Swami Vivekananda Jayanti Speech In Hindi : हर वर्ष 12 जनवरी को युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस ( National Youth Day ) के तौर पर भी मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस और स्वामी विवेकानंद जयंती पर पूरा देश विश्व को भारतीय संस्कृति की उत्कृष्टता का दर्शन कराने वाले इस महान संत को नमन कर रहा है। स्वामी विवेकानंद ने वेदांत और योग पर भारतीय दर्शन से पश्चिमी दुनिया का परिचय कराया। वे युवा शक्ति को राष्ट्रनिर्माण का आधार मानते थे। उनके विचारों ने युवाओं के चरित्रनिर्माण और उनमें राष्ट्रीयता का भाव जागृत करने में अहम भूमिका निभाई। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकता में पिता विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ था। योग, राजयोग और ज्ञानयोग जैसे ग्रंथों की रचना करके स्वामी विवेकानंद ने युवा जगत को नई राह दिखाई जिसका भारतीय जनमानस पर जबरदस्त असर हुआ और आगे भी युगों युगों तक इसका प्रभाव रहेगा। स्वामी जी अस्पृश्यता व जातिगत भेदभावों को राष्ट्र के चहुंमुखी विकास में सबसे बड़ी बाधा मानते थे। स्वामी जी केवल एक संत ही नहीं बल्कि एक महान देशभक्त, दार्शनिक, वक्ता, विचारक, लेखक भी थे।

स्वामी विवेकानंद जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस होने के चलते स्कूल, कॉलेजों में कई तरह के कार्यक्रम व सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। इनमें विवेकानंद से जुड़े भाषण, निबंध प्रतियोगिताएं भी होती हैं। अगर आप भाषण या निबंध प्रतियोगिता में हिस्से ले रहे हैं तो नीचे दी गई स्पीच से इसका उदाहरण देख सकते हैं।

Swami Vivekananda Jayanti Speech In Hindi: यहां देखें भाषण का एक उदाहरण

यहां उपस्थित प्रधानाचार्य महोदय, आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों।

आज हम सब यहां स्वामी विवेकानंद जी की जयंती 12 जनवरी को मनाने के लिए जुटे है। सबसे पहले मैं भारतीय अध्यात्म और संस्कृति को वैश्विक पटल पर स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानंद को उनकी जयंती, राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर उन्हें शत-शत नमन करता हूं। ऊर्जा और स्फूर्ति से भरे उनके विचार और संदेश युवाओं को कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करते रहे हैं और युग युगांतर तक करते रहेंगे।

साल 1985 में भारत सरकार ने स्वामी जी के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया था। वह बेहद कम उम्र में विश्व विख्यात प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु बन गए थे। 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुए विश्‍व धार्मिक सम्‍मेलन में उन्‍होंने जब भारत और हिंदुत्‍व का प्रतिनिधित्‍व किया तो उनके विचारों से पूरी दुनिया उनकी ओर आकर्षित हुई। वेदांत और योग को पश्चिमी संस्कृति में प्रचलित करने में उन्होंने बेहद अहम योगदान दिया।

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'उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए'। जोश से भर देने वाली ये पंक्ति स्वामी विवेकानंद जी की ही हैं। स्वामी जी वो शख्सियत हैं जिससे आज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के करोड़ों युवा जीवन जीने की सीख लेते हैं। उनके प्रेरणादायी व जोशीले विचार युवाओं में जोश फूंकने का काम करते हैं और आगे भी शताब्दियों तक करते रहेंगे। यही वजह है कि 12 जनवरी का दिन भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी को कोलकाता में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। सिर्फ 25 साल की उम्र में ही नरेन्द्रनाथ ने अध्यात्म का मार्ग अपना लिया था। आध्यात्मिक मार्ग अपनाने के बाद उनको स्वामी विवेकानंद के नाम से जाना जाने लगा। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। विज्ञान का छात्र होते हुए भी उनकी दर्शन में काफी रुचि थी।

स्वामी विवेकानंद पुरोहितवाद, धार्मिक आडंबरों, कठमुल्लापन और रूढ़ियों के सख्त खिलाफ थे। उनका मानना था कि जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी। जो तुम सोचते हो, वो बन जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे। अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे।' वेदों और उपनिषदों में उनकी पूरी आस्था थी। उनका मानना था कि केवल पूजा पाठ से ही धर्म संभव नहीं होता बल्कि मनुष्यत्व व सत्यनिष्ठा से ही संभव होता है।

विवेकानंद की जब भी बात होती है तो अमरीका के शिकागो की धर्म संसद में साल 1893 में दिए गए भाषण की चर्चा जरूर होती है। ये वो भाषण है जिसने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ पेश किया। स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण 'अमेरिका के भाईयों और बहनों' के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक हॉल में तालियां बजती रहीं। उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली। अमेरिका समेत पूरी दुनिया जान गई भारत आध्यात्मिक ज्ञान से कितना समृद्ध देश है।

स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की। रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को ही कर्मयोग मानता है। स्वामी विवेकानंद को दमा और शुगर की बीमारी थी, जिसकी वजह से उन्होंने 39 साल की बेहद कम उम्र में ही दम तोड़ दिया। लेकिन इतनी कम उम्र में वह विश्वभर में इतनी ख्याति बटोर गए जो हर युवा के लिए एक मिसाल है। उन्होंने सिखाया कि युवावस्था कितनी महत्वपूर्ण होती है।

साथियों, आज युवा दिवस के मौके पर हम सभी न सिर्फ उन्हें याद कर श्रद्धांजिल दें, बल्कि हम उनके दिए ज्ञान, बातों, सीखों व चरित्र के एक छोटे से हिस्से को अपने जीवन में भी उतारें। यदि हम सभी उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के छोटे से हिस्से को भी अपने जीवन में उतार दें, तो हमें सफल होने से कोई नही रोक सकता है। इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूं और आशा करता हूं कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा। मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि आप सभी ने मुझे इस मंच से महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर दिया। धन्यवाद।

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