Swami Vivekananda Jayanti Speech : राष्ट्रीय युवा दिवस स्वामी विवेकानंद जयंती पर 2 मिनट का शानदार भाषण
- Swami Vivekananda Jayanti Speech : हर साल 12 जनवरी को देश भर में स्वामी विवेकानंद जयंती मनाई जाती है। उनके ओजपूर्ण विचार युवाओं को प्रेरित करते रहे हैं, ऐसे में भारत यह दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाता है।
Swami Vivekananda Jayanti Speech : आज 12 जनवरी को देश अपने महान आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक और विचारक स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती मना रहा है। स्वामी विवेकानंद के जोशीले विचार हमेशा से युवाओं को प्रेरित करते रहे हैं और उनमें नई ऊर्जा व चेतना का संचार करते रहे हैं। ऐसे में यह दिन भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस पर देश भर में युवाओं के व्यक्तिगत विकास, समाज व राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करने को लेकर कई तरह के कार्यक्रम, सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित होती हैं। भारत सरकार इस वर्ष स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के भारत मंडपम में विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025 (11-12 जनवरी, 2025) आयोजित कर रही है। इसके जरिए युवा सशक्तिकरण व नेतत्व पर जोर दिया जा रहा है।
स्वामी विवेकानंद जयंती व राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर देश भर में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। अगर इनमें आप भाषण या निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहे हैं तो यहां से उदाहरण ले सकते हैं।
Swami Vivekananda Jayanti Speech : स्वामी विवेकानंद जयंती पर भाषण
यहां उपस्थित प्रधानाचार्य महोदय, आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों। आप सभी को मेरा प्रणाम।
सबसे पहले मैं भारतीय संस्कृति व अध्यात्म को वैश्विक पटल पर पुनर्स्थापित करने वाले महान युवा संन्यासी, युग प्रवर्तक चिंतक, युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर उन्हें नमन करता हूं। आप सभी को राष्ट्रीय युवा दिवस की हार्दिक बधाई भी देता हूं। स्वामी विवेकानंद औपनिवेशिक भारत में हिंदुत्व पुनर्उद्धार और युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना जगाने के लिए जाने जाते हैं। हिंदुत्व को लेकर उन्होंने जो व्याख्या दुनिया के सामने रखी, उसकी वजह से इस धर्म को लेकर विश्व भर में आकर्षण बढ़ा।
स्वामी विवेकानंद के विचारों, उनकी दी गईं शिक्षाओं से करोड़ों युवा प्रेरित होते हैं। स्वामी विवेकानंद की कही गई बातें युवाओं में जोश भरने का काम करती हैं। विवेकानंद की ओजस्वी वाणी, ओजपूर्ण विचारों ने सुप्त लोगों को जागृत किया। उनकी युवावस्था देश के हर युवा के लिए एक बेहतरीन मिसाल है। यही वजह है उनके जन्मदिन को देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारत सरकार ने करीब 38 साल पहले उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया। साल 1985 में भारत सरकार ने स्वामी जी के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया था। स्वामी विवेकानन्द भारत के युवाओं को गौरवशाली अतीत और भव्य भविष्य की मजबूत कड़ी के रूप में देखते थे। विवेकानन्द कहते थे कि सारी शक्ति तुम्हारे भीतर है, उस शक्ति का आह्वान करो। आपको विश्वास होना चाहिए कि आप सब कुछ कर सकते हैं। स्वयं पर यह विश्वास और असंभव को संभव में बदलना आज भी देश के युवाओं के लिए प्रासंगिक है। वे युवा पीढ़ी को किसी भी देश के विकास की रीढ़ मानते थे।
एक समृद्ध परिवार में जन्मे स्वामी विवेकानंद बचपन से ही काफी कुशाग्र बुद्धि वाले और जिज्ञासु थे। उनके शिक्षक भी उनकी हाजिरजवाबी के कायल थे। लेकिन वह परमेश्वर की प्राप्ति के लिए काफी लालायित रहते थे। ईश्वर को जानने के लिए वह काफी उत्सुक रहते थे। कहा जाता है जब माता-पिता ने उनसे विवाह करने के लिए कहा तो उन्होंने जवाब दिया कि वे ईश्वर को खोज रहे हैं, पत्नी को नहीं।
रामकृष्ण परमहंस से मिलने के बाद उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता चला गया। वे श्रीरामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य थे। श्री रामकृष्ण को अपना आध्यात्मिक गुरु मानने के बाद वह स्वामी विवेकानंद कहे जाने लगे। वे ऊर्जा की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने आध्यात्मिक क्रांति का सूत्रपात किया। श्रीरामकृष्ण परमहंस की महासमाधि के बाद स्वामी विवेकानंद ने पूरे भारत की यात्रा की।
स्वामी विवेकानंद ने ही वेदांत और भारतीय दर्शन का प्रचार प्रसार उस समय किया, जब पश्चिमी देशों की नजर में भारत एक असभ्य देश था। उन्होंने भारत के अध्यात्मवाद से दुनिया को परिचित कराया और भारत का मस्तक विदेशों में ऊंचा किया। पश्चिमी देशों को वेदांत व भारतीय दर्शन के बारे में बताने के लिए उन्होंने अमेरिका की धर्म संसद में भाग लिया। साल 1893 में शिकागो की धर्म सभा में उनके भाषण दुनिया को हिलाकर रख दिया। स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण 'अमेरिका के भाईयों और बहनों' के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक सदन तालियों की आवाज से गूंजता रहा। उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली। सिर्फ 30 साल के विवेकानंद ने हिंदुत्व के नजरिए से दुनिया को भाइचारे का पाठ पढ़ाया था। इस युवा संन्यासी के धर्म संसद में दिए गए भाषण से पूरी दुनिया मंत्र मुग्ध हो गई थी।
स्वामी विवेकानंद के मन में डर बिल्कुल नहीं था। वे बंधनों से पूरी तरह मुक्त थे। वे कहते थे कि मेरे बच्चों, हमें चाहिए लोहे जैसी मांसपेशियां और फौलाद जैसा स्नायु। जिसमें वज्र सा मन निवास करे। स्वामी जी कहते थे कि 'उठो और जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।'
साथियों, आज युवा दिवस के मौके पर हम सभी न सिर्फ उन्हें याद कर श्रद्धांजिल दें, बल्कि हम उनके दिए ज्ञान, बातों, सीखों व चरित्र के एक छोटे से हिस्से को अपने जीवन में भी उतारें और विकसित भारत के लिये योगदान दें। उनके जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेकर युवा देश के नव निर्माण में भागीदार बनें।
अंत में आप सभी का धन्यवाद करता चाहता हूं कि आप सभी ने मुझे इस मंच से महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर दिया। जय हिन्द। जय भारत।
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