उत्तर प्रदेश: शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले में अभी कई पेंच
परिषदीय शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले में अभी कई पेंच है। एक ओर बेसिक शिक्षा परिषद ट्रांसफर की सूची तैयार करने की प्रक्रिया में है वहीं असंतुष्ट शिक्षक कई मुद्दों को लेकर हाईकोर्ट में डटे हुए हैं।...
परिषदीय शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले में अभी कई पेंच है। एक ओर बेसिक शिक्षा परिषद ट्रांसफर की सूची तैयार करने की प्रक्रिया में है वहीं असंतुष्ट शिक्षक कई मुद्दों को लेकर हाईकोर्ट में डटे हुए हैं। जिले के अंदर ट्रांसफर और समायोजन नहीं होने को लेकर शिक्षकों में नाराजगी है।
नियमावली के अनुसार पांच साल पिछड़े ब्लाक में नौकरी करने के बाद पुरुष शिक्षकों को अगड़े ब्लाक में तैनाती मिलनी चाहिए। महिलाओं के लिए दो साल का समय है। जिले में कई शिक्षक ऐसे हैं जो 7-8 साल से पिछड़े ब्लाक में नौकरी कर रहे हैं।
पिछले साल 13 जून को जारी शासनादेश में पहले जिले के अंदर ट्रांसफर/समायोजन और उसके बाद अंतर जनपदीय तबादले की बात थी। इसके बाद जिले के अंदर ट्रांसफर/समयोजन के लिए 28 अगस्त तक आवेदन लिए गए और 31 अगस्त तक ऑनलाइन सत्यापन कराया गया।
लेकिन छात्रसंख्या 31 जुलाई की बजाय 30 अप्रैल लेने के कारण विवाद हो गया और पूरी प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। यह मामला विचाराधीन है। इस बीच अंतर जनपदीय तबादले की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इस पर शिक्षकों ने दूसरी याचिकाएं दायर कर दी कि जब तक जिले के अंदर की प्रक्रिया पूरी नहीं होती तब तक अंतर जनपदीय ट्रांसफर न किए जाएं।
दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद जिलों में रिक्त पदों के 25 प्रतिशत पर ही अंतर जनपदीय तबादला करने जा रहा है लेकिन जिले के ट्रांसफर/समायोजन की मांग कर रहे शिक्षकों को आशंका है कि ये 25 प्रतिशत अच्छे स्कूल हैं जो अगड़े विकास खंडों के है। ये भर जाएंगे तो बाद में ट्रांसफर/समायोजन में सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल ही बचेंगे।
साथ ही 25 प्रतिशत सीटों पर दूसरे जिलों से शिक्षक आने पर प्रमोशन के लिए रिक्त पदों की संख्या कम हो जाएगी जिससे 2009 के बाद से प्रमोशन का इंतजार कर रहे शिक्षकों का नुकसान होगा। इस बीच गंभीर बीमारी से ग्रस्त लेकिन पांच साल से कम अनुभव वाले शिक्षकों ने भी हाईकोर्ट में याचिका कर शिक्षिकाओं की तरह अंतर जनपदीय तबादले में पांच साल की बाध्यता से छूट मांगी है।
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