प्राविधिक शिक्षा विभाग परिणाम: अंजली राय ने किया प्रदेश में टॉप
उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा विभाग में इस बार लड़कियों का दबदबा रहा। प्रदेश की टॉप तीन की सूची में एक साथ तीन लड़कियों ने मेरिट में अपनी जगह बनाई। एम्बीशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वाराणसी से ही...
उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा विभाग में इस बार लड़कियों का दबदबा रहा। प्रदेश की टॉप तीन की सूची में एक साथ तीन लड़कियों ने मेरिट में अपनी जगह बनाई। एम्बीशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वाराणसी से ही पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर अंजली राय(91.77%), पूजा जायसवाल(90.05%) और निधि वर्मा(89%) ने क्रमश: अपना कब्जा जमाया।
चौथे स्थान पर भगवती इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, गाजियाबाद से मैकेनिकल इंजीयनरिंग करने वाले रौदास कुमार 87.02 काबिज हुए। वहीं, राजधानी में एयरोनॉटिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की रिमझिम श्रीवास्तव ने 84.07 फीसदी अंकों के साथ टॉप किया।
दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन में भी लखनऊ के राजकीय महिला पॉलीटेक्निक लखनऊ की शालू राय ने 84.07 फीसदी अंक लाकर कॉलेज का नाम रोशन किया। सचिव प्राविधिक और व्यवसायिक शिक्षा, उप्र भुवनेश्वर कुमार ने गुरुवार परीक्षाफल समिति की बैठक की। शाम पांच बजे सचिव भुवनेश्वर कुमार ने बटन दबाकर परीक्षाफल जारी किया। सचिव ने प्रथम स्थान लाने वाली अंजली राय को फोन पर बधाई भी दी। इस मौके पर निदेशक प्राविधिक शिक्षा आरसी राजपूत, सचिव प्राविधिक शिक्षा परिषद संजीव कुमार सिंह, उप सचिव वरुण यादव समेत तमाम विभागीय अधिकारी मौजूद थे।
हौनहारों से बातचीत
अंजली राय (91.77%), मऊ
मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है। मैनें हमेशा ही अपने लक्ष्य पर फोकस रखा है। हमेशा से एक फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी। इसलिए कोलकाता से निफ्ट में ट्रेनिंग कर रही हूं। राष्ट्रीय कौशल प्रतियोगिता में भी जनपद स्तर पर चयनित हुई थी। लेकिन बीच में ही छोड़ना पड़ा। कॉलेज के टीचर का मेरी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान है। जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हमेशा विकल्प तैयार रहने चाहिए। जीत का एक ही मंत्र है जो भी करें आपकी खुशी उसमें शामिल हो।
पूजा जायसवाल (90.05%), मिर्जापुर।
टॉपर के पंख नहीं होते। उसी माहौल में तैयारी करनी होती है, जिसमें और छात्र तैयारी करते हैं। सबसे जरूरी है अपने काम को उसी दिन खत्म करें। कुछ भी बाकी रहेगा तो आने वाले दिन में समस्या होगी। यूपी बोर्ड से इंटर कर प्रवेश लिया था, तो अंग्रेजी में थोड़ी समस्या थी। प्राविधिक शिक्षा में हिन्दी में लिख सकते थे, यह सबसे अच्छा था। सबसे ज्यादा जरूरी है समयानुकूल, समयनिष्ठ और अनुशासित रहना। आगे बढ़ने के यही गुरू मंत्र है।
निधि वर्मा (89%), वाराणसी
डिजाइनर बनना चाहती थी, लेकिन परिवारिक स्थिति अनुकूल नहीं थी। निफ्ट क्वालीफाई करने के बाद भी प्रवेश नहीं ले सकी। इसके बाद डिप्लोमा किया। अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकी। सभी को गोल बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। पिता एक दुकान चलाते हैं। आज उन्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा है यह देखकर बहुत खुशी मिल रही है।
रिमझिम श्रीवास्तव (84.07%), मऊ
मैं एयरक्रॉफ्ट इंजीनियर बनना चाहती थी। इसके लिए बाहर जाना ही था। पर, आसपास वालों ने ‘लड़की’ कहकर पिता जी से घर से दूर पढ़ने जाने के लिए मना कर दिया था। पिता जी इंजीनियरिंग की फीस नहीं दे सकते थे। मजबूरन डिप्लोमा में प्रवेश लिया। किसी तरह पिता ने मेरी फीस भरी। उन्हें हमेशा ही डर लगा रहता था। लेकिन, रिजल्ट की जानकारी के बाद पिता अपनी खुशी और प्यार जाहिर तक नहीं कर पा रहे हैं। अब, अप्रेंटिस कर नौकरी करनी है ताकि पिता का हाथ बटा सकूं।
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