UPSSSC : एक तिहाई चयनित आबकारी सिपाही दागी, फंसेगी नियुक्ति
UPSSSC Abkari Sipahi Bharti: एक सच छिपाने की वजह से आबकारी विभाग में चयनित सिपाहियों की नौकरी पर अब खतरा खड़ा हो गया है। फॉर्म भरते समय खुद को पाक-साफ बताने वालों का पुलिस सत्यापन कराने पर मुकदमे निक
UPSSSC Abkari Sipahi Bharti: एक सच छिपाने की वजह से आबकारी विभाग में चयनित सिपाहियों की नौकरी पर अब खतरा खड़ा हो गया है। फॉर्म भरते समय खुद को पाक-साफ बताने वालों का पुलिस सत्यापन कराने पर मुकदमे निकल रहे हैं। ऐसे में उनके लिए नियुक्ति के पहले ही मुश्किल खड़ी हो गई है।
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से पिछले दिनों 374 आबकारी सिपाहियों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद नियुक्ति के लिए चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज आबकारी विभाग को भेज दिए गए। आबकारी विभाग से पुलिस सत्यापन के लिए इनका दस्तावेज सभी जिलों के डीएम को भेजा गया। पिछले मंगलवार से शुरू हुई सत्यापन प्रक्रिया में अब तक विभाग के पास 150 चयनितों की सत्यापन रिपोर्ट आ चुकी है। इसमें से 47 ऐसे चयनित हैं, जिन पर थानों में किसी न किसी धारा में मुकदमे दर्ज हैं। इसमें आठ महिलाएं भी हैं। विभाग सभी चयनित अभ्यर्थियों की सत्यापन रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहा है।
दहेज उत्पीड़न, मारपीट के हैं मुकदमे:विभाग को अभी तक जो पुलिस सत्यापन रिपोर्ट मिली है, उसमें कुछ अभ्यर्थियों पर कई गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होने की बात सामने आई है। ज्यादातर के खिलाफ मारपीट, हंगामा आदि की धारा में मुकदमा दर्ज है। वहीं कुछ अभ्यर्थियों पर दहेज उत्पीड़न जैसा गंभीर आरोप भी है।
विधि प्रकोष्ठ को भेजने की तैयारी:आबकारी मुख्यालय प्रयागराज में पहले एक विधि परामर्शी का पद होता था। ऐसे मामलों को विधि परामर्शी के पास भेजा जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह पद रिक्त है। इसलिए अब इस मामले को शासन के विधि प्रकोष्ठ को भेजने की तैयारी चल रही है। विधिक राय मिलने के बाद ही इनकी नियुक्ति के बारे में कोई फैसला हो सकेगा।
क्या है नियम ?
नियुक्ति से पहले सभी अभ्यर्थियों को एक फॉर्म भरकर विभाग को देना होता है। जिसमें उन्हें बताना होता है कि उन पर किसी आपराधिक धारा में मामला चल रहा है या नहीं। अगर केस चलता है तो उसके अनुसार उसकी नियुक्ति पर विचार किया जाता है, लेकिन इस बार अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरते वक्त तथ्य छिपा लिया।
2002 में नियुक्ति के बाद हटाना पड़ा
वर्ष 2002 में हुई ड्राइवरों की भर्ती में भी ऐसा मामला सामने आया था। आरोप सिद्ध होने पर तीन ड्राइवरों को नौकरी से हटा दिया गया था। इन पर पूर्व मुकदमे चल रहे थे, जो जांच में सामने नहीं आए थे। बाद में जब पुलिस रिपोर्ट आई तो ये दोषी पाए गए थे।
अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने कहा, "आबकारी सिपाहियों के नियुक्ति प्राधिकारी आबकारी आयुक्त होते हैं। मुकदमे दर्ज होने की दशा में उन्हें यह देखना होगा कि धाराएं क्या हैं। इसके अनुसार ज्वाइनिंग कराई जाए या नहीं, इस पर निर्णय होगा।"
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