UPSC Prelims : फेल छात्रों का दावा, CSAT में सिलेबस से बाहर से आए प्रश्न, कोर्ट ने सुनाया फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 की प्रारंभिक परीक्षा सीसैट ( UPSC CSAT ) में पूछे गए कुछ प्रश्न सिलेबस से बाहर के थे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 की प्रारंभिक परीक्षा सीसैट (सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट - UPSC CSAT ) में पूछे गए कुछ प्रश्न सिलेबस से बाहर के थे। यूपीएससी प्रीलिम्स के कई असफल उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रश्न पत्र में क्या शामिल किया जाना चाहिए. यह अकादमिक विशेषज्ञों का विशिष्ट क्षेत्र है और इसे इस आधार पर अदालत के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती है कि प्रश्न सिलेबस से बाहर थे।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि हालांकि सीसैट सिलेबस कक्षा-10 स्तर के अंकगणित या गणित का माना जाता है, लेकिन बड़ी संख्या में प्रश्न ऐसे थे जो इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों का मूल्यांकन करते हैं और इसलिए, आर्ट्स व ह्यूमेनिटीज बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को समान अवसर नहीं दिया गया।
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पीठ ने 22 अगस्त के अपने आदेश में कहा, “प्रश्नपत्र पर सवाल उठाने के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा बनाया गया एकमात्र आधार यह था कि कुछ प्रश्न कक्षा 11 और 12 के स्तर के थे। यह कहना पर्याप्त होगा कि पेपर में किन प्रश्नों को शामिल करने की आवश्यकता है और ऐसे प्रश्नों की प्रकृति और जटिलता क्या होनी चाहिए, यह निर्णय आवश्यक रूप से अकादमिक विशेषज्ञों के समूह का रहता है। हमारे सामने इस तरह के निर्णय को न्यायिक समीक्षा में केवल इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि कुछ प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर थे।”
पीठ में न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि यह अदालत अकादमिक विशेषज्ञों के पैनल के सोचे समझे निर्णय के खिलाफ तब तक अपील पर सुनवाई नहीं कर सकती है, जब तक कि वह निर्णय स्पष्ट रूप से मनमाना, दुर्भावनापूर्ण या अवैध साबित न हो, जो कि वर्तमान मामले में नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने से इनकार करने के आदेश की आलोचना की थी। अदालत ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अनुसार परीक्षा उसके नियमों और दिशा-निर्देशों के अनुसार निष्पक्ष तरीके से आयोजित की गई थी।
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