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पिता ने सब्जी और चाय बेची, बेटा बना IAS अफसर, दिल्ली के सरकारी स्कूल से पढ़े 23 साल के आयुष की कहानी

UPSC Civil Services Exam : दिल्ली के सरकारी स्कूल से पढ़े आयुष गोयल ने पहले प्रयास में ही यूपीएससी में 171 वीं रैंक हासिल की है। ईडब्यूएस कोटा होने के चलते उन्हें आईएएस सर्विसेज मिल जाएगी। 

Pankaj Vijay ,, नई दिल्लीWed, 31 May 2023 05:14 AM
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दिल्ली के मंडोली रोड विश्वकर्मा गेट के रहने वाले सुभाष चंद्र गोयल ने अपने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए सब्जी बेची। चाय की दुकान लगाई। परचून का काम किया। पत्नी मीरा ने घर संभाला। दोनों की मेहनत और त्याग रंग लाए और बेटा आयुष IIM से MBA कर 28 लाख के पैकेज की नौकरी पर लग गया। परिवार की आर्थिक तंगी के दिन अब लदने वाले थे। लेकिन महज 6 महीने बाद सुभाष चंद्र गोयल उस वक्त सदमे में आ गए जब आयुष ने उन्हें अपने जॉब छोड़कर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा ( UPSC Civil Services Exam ) की तैयारी करने के फैसले के बारे में बताया। भारत की सबसे कठिन परीक्षा जिसमें 10 लाख युवाओं में से महज 900 से 1000 अभ्यर्थियों का चयन होता है। पिता टूट गए। लेकिन आयुष ने अपने पिता को भरोसा दिलाया। दिल्ली के सरकारी स्कूल राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से पढ़े आयुष ने यह भारी रिस्क लिया और अपने मजबूत इरादों और लगन के दम पर पहले ही अटेम्प्ट में चुनौतिपूर्ण यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 क्रैक कर डाली। 

सिर्फ 23 साल के आयुष की पहले प्रयास में 171 वीं रैंक आई है। ईडब्यूएस कोटा होने के चलते उन्हें आईएएस सर्विसेज मिल जाएगी। 

आयुष के लिए भी मोटे पैकेज की नौकरी ठुकरा अनिश्चितताओं से भरी राह चुनना आसान नहीं था। अपनी और परिवार की संघर्ष से भरी यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, 'हमारा परिवार वर्ष 1997 में हरियाणा के हिसार जिले से  दिल्ली आकर बसा था। पिताजी ने सबसे पहले सब्जी बेचने का काम किया। फिर चाय का काम शुरू किया। अब वह शाहदरा में ही परचून की दुकान चलाते हैं।' 

2021 में जॉब मिली, 7 माह में छोड़ दी
आयुष ने दिल्ली सरकार के राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से स्कूलिंग की। 10वीं में 91.2 फीसदी मार्क्स आए। कॉमर्स ली। 12वीं में 96.2 फीसदी मार्क्स आए। इसके बाद डीयू के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज से बीए इकोनॉमिक्स ऑनर्स (2016-2019)  किया। उन्होंने कॉलेज के साथ ही कैट की तैयारी शुरू कर दी थी। पहले ही अटेमप्ट में कैट क्रैक किया और आईआईएम कोझिकोड में एडमिशन मिला। आयुष को पढ़ाई के लिए 20 लाख का मोटा एजुकेशन लोन लेना पड़ा। एमबीए करने के बाद नामी कंपनी जेपी मॉर्गन में 28 लाख के पैकेज पर प्लेसमेंट हुआ। लेकिन जॉब में दिल नहीं लगा। जॉब सैटिस्फैक्शन न मिलने के कारण आयुष ने 2021 में महज 7 महीने में जॉब छोड़कर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया। वह भारत में ही रहकर देश व समाज के लिए काम करना चाहते थे, खासतौर पर शिक्षा के क्षेत्र में। कंपनी ने आयुष को डेढ़ करोड़ से ज्यादा के पैकेज पर न्यूयॉर्क भेजने का भी ऑफर दिया लेकिन आयुष फैसला ले चुके थे। 

आयुष के जॉब छोड़ने के फैसले से परिवार सकते में आ गया था, खासतौर पर पिता। आयुष ने कहा, 'मेरा फैसला सनुकर पापा बीमार पड़ गए थे। मैं दुखी हो गया और परिवार से कहा कि ठीक है मैं जॉब नहीं छोड़ूंगा। दो महीने 9 घंटे ऑफिस का काम करता था और 6 घंटे पढ़ाई करता था। लेकिन तब मेरी तबीयत खराब होने लग गई। तब तक मैं यूपीएससी के प्रति अपनी योग्यता, लगन को समझ चुका था। तब मैंने फैसला लिया कि दोनों साथ साथ नहीं चल पाएंगे। देखा जाएगा जो भी होगा। फिर मैंने नवंबर 2021 में रिजाइन दे दिया। कंपनी ने मुझे दिसंबर 2021 में रिलीज कर दिया। जून 2022 में यूपीएससी प्रीलिम्स दिया।' 

सरकारी स्कूल के छात्रों की मदद के लिए सक्रिय है आयुष 
स्कूलिंग पूरी करने के बाद आयुष ने अपने स्कूल से संपर्क बनाए रखे। वह सरकारी स्कूल से पढ़े थे और करियर की सही चुनने में वहां के स्टूडेंट्स की मदद करना चाहते थे। हायर स्टडीज में जाने के बाद उन्होंने अपने स्कूल का पूर्व छात्रों का एक समूह बनाया (एलुम्नाई एसोसिएशन) ताकि स्कूल के स्टूडेंट्स को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा, 'जो बच्चे नीट, जेईई वगैरह परीक्षाएं पास कर रहे थे, अच्छी जगहों पर पहुंच रहे थे, उन्हें इसे ग्रुप से जोड़ा गया।'

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