Hindi Newsकरियर न्यूज़UPSC CSE: It is not possible to give additional chance in UPSC Civil Services Examination the Central Government told the court

UPSC CSE: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका देना संभव नहीं, केंद्र सरकार ने न्यायालय से कहा

UPSC CSE : केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका देना 'संभव नहीं' है।

Alakha Ram Singh भाषा, नई दिल्लीFri, 25 March 2022 05:53 PM
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UPSC CSE : केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका देना 'संभव नहीं' है। शीर्ष अदालत तीन अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने यूपीएससी 2021 की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद मुख्य परीक्षा में सभी प्रश्न पत्र के दौरान उपस्थित नहीं हो सके। अब वे परीक्षा में उपस्थित होने के लिए एक अतिरिक्त मौके का अनुरोध कर कर रहे हैं। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका की पीठ से कहा, ''हमने एक हलफनामा दायर किया है। अतिरिक्त मौका संभव नहीं हैं। हमने इस पर विचार किया है।'' यूपीएससी ने हाल में शीर्ष अदालत से कहा था कि यदि कोई अभ्यर्थी किसी भी कारण से निर्धारित तिथि पर परीक्षा में शामिल होने में विफल रहता है तो बीमारी या दुर्घटना के कारण परीक्षा देने में असमर्थ होना समेत किसी भी कारण से फिर से परीक्षा आयोजित करने का कोई प्रावधान नहीं है। 

भाटी ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि केंद्र ने इस मामले में हलफनामा दाखिल किया है। पीठ ने कहा कि वह 28 मार्च को मामले की सुनवाई करेगी और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री से कहा कि वह हलफनामे के साथ इस मामले की फाइल सर्कुलेट करे। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि यूपीएससी द्वारा हर साल एक विशेष सीएसई के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा अधिसूचित सीएसई नियमों के अनुसार सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) आयोजित की जाती है। केंद्र ने कहा कि कोविड​​-19 महामारी के कारण अभ्यर्थियों को होने वाली कठिनाइयों को लेकर याचिका के खिलाफ पूर्व में शीर्ष अदालत द्वारा क्षतिपूर्ति या अतिरिक्त मौके के मामले पर फैसला सुनाया गया था, लेकिन इसकी मंजूरी नहीं दी गई थी। 

हलफनामे में शीर्ष अदालत के पिछले साल फरवरी और जुलाई 2021 में अलग-अलग दलीलों पर पारित फैसले और आदेश का भी जिक्र है। केंद्र ने कहा कि पिछले साल जुलाई के आदेश के बाद डीओपीटी में क्षतिपूर्ति या अतिरिक्त प्रयास की समान मांग को लेकर कई आवेदन प्राप्त हुए थे। हलफनामे में कहा गया, ''मामले पर विचार किया गया और पाया गया कि सीएसई के संबंध में प्रयासों की संख्या और आयु-सीमा के संबंध में मौजूदा प्रावधानों को बदलना संभव नहीं।'' केंद्र ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आयु-सीमा में किसी भी तरह की छूट और मंजूर मौकों की संख्या के कारण अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों द्वारा भी इसी तरह की मांग की जा सकती है। हलफनामे में कहा गया, ''यह अन्य उम्मीदवारों की संभावनाओं को भी प्रभावित करेगा जो मौजूदा प्रावधानों के अनुसार पात्र हैं क्योंकि इससे ऐसे उम्मीदवारों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि होगी। यह पूरे देश में आयोजित अन्य परीक्षाओं के उम्मीदवारों द्वारा भी इसी तरह की मांगों को जन्म देगा।'' 

अधिवक्ता शशांक सिंह द्वारा दायर किए गए जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ता कोविड​​-19 और उसके लिए नीति के चलते अनुपस्थिति के कारण अपने अंतिम प्रयास के स्थान पर प्रतिपूरक प्रयास के हकदार हैं। तीन याचिकाकर्ताओं में से दो को बीच में कुछ प्रारंभिक प्रश्नपत्रों में उपस्थित होने के बाद सात से 16 जनवरी तक आयोजित मुख्य परीक्षा छोड़नी पड़ी, जबकि तीसरा उम्मीदवार संक्रमित होने के कारण किसी भी प्रश्नपत्र की परीक्षा में उपस्थित नहीं हो सका। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उनमें क्रमशः छह जनवरी, 13 जनवरी, 14 जनवरी को आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई थी।

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