Hindi Newsकरियर न्यूज़upsc civil services exam : At what level was decision to deny extra chance at UPSC prelims taken asks Supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों को एक्स्ट्रा चांस न देने का फैसला किस स्तर पर लिया गया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अभ्यर्थियों को एक्स्ट्रा चांस नहीं देने के संबंध में निर्णय किस स्तर पर लिया गया है।...

Pankaj Vijay अब्राहम थॉमस, एचटी, नई दिल्लीThu, 28 Jan 2021 08:30 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अभ्यर्थियों को एक्स्ट्रा चांस नहीं देने के संबंध में निर्णय किस स्तर पर लिया गया है। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को 24 घंटे के भीतर फिर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को फिर होगी।

4 अक्टूबर, 2020 को सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों में से 100 से ज्यादा अभ्यर्थी ऐसे थे जिनका यह आखिरी अटेम्प्ट था। इन अभ्यर्थियों ने शीर्ष अदालत ने याचिका दायर कर सिर्फ एक बार की छूट के तौर पर 2021 की सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका देने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि चार अक्टूबर 2020 को होने वाली इनकी प्रारंभिक परीक्षा की तैयारियां कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रभावित हुई थीं। कुछ अभ्यर्थियों ने कहा है कि कोविड-19 से जुड़ी ड्यूटी में लगने के कारण उन्हें तैयारी का समय नहीं मिल पाया। जबकि कुछ का कहना है कि दूर दराज के इलाके में खराब इंटरनेट सुविधा के चलते उन्हें ऑनलाइन अध्ययन सामग्री नहीं मिल सकी। 

याचिकाकतार्ओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कहा कि छात्र कोरोना वायरस के कारण अनिश्चितता के माहौल में अपनी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पाए और बिना तैयारी के ही परीक्षा में बैठने को मजबूर हुए। न्यायमूर्ति खानविलकर ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से कहा कि हलफनामा में कुछ भी नहीं है। इससे कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा है कि किस स्तर पर यह निर्णय लिया गया है।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, “इसे उच्चतम स्तर पर लिया जाना चाहिए था। यह एक नीतिगत निर्णय है और एक बार छूट देने से संबंधित है। यह एक नियमित शपथ पत्र जैसा है। क्या यह उचित तरीका है, आपको कुछ ऐसा पेश करना चाहिए जो प्रस्तुत करने योग्य हो और इसे फिर से पेश करें।” 

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल 30 सितंबर को देश के कई हिस्सों में कोविड-19 महामारी और बाढ़ के कारण यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने से इनकार कर दिया था, जो चार अक्टूबर को आयोजित की गई थी। हालांकि, उसने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को यह निर्देश दिया था कि वे उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौका देने पर विचार करें, जिनका 2020 में आखिरी प्रयास है। पीठ को तब बताया गया था कि एक औपचारिक निर्णय केवल कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा लिया जा सकता है। 

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