UPMSP UP Board Result : 'आत्मनिर्भर' स्कूलों ने निकाले हीरे, सहायता ले रहे स्कूल 'डूबे'
मुरादाबाद में यूपी बोर्ड के रिजल्ट में मेधावियों की मेरिट सूची में शामिल सभी छात्र-छात्राओं के इस बार वित्तविहीन विद्यालयों से होने की स्थिति सामने आई है। इंटर के परीक्षा परिणाम की टॉप टेन मेरिट लिस्ट
UP Board 10th, 12th Result 2022: इस साल की यूपी बोर्ड की परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद होनहार हीरे जिले के उन स्कूलों से सामने आए जिन्हें सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही। ये विद्यालय विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए वेतन पर नियुक्ति समेत सभी व्यवस्थाएं अपने दम पर कर रहे हैं, जबकि इन सबके लिए राजकीय और शासकीय सहायता प्राप्त करने वाले विद्यालयों का जिले की टॉप टेन मेरिट लिस्ट से पत्तासाफ हो गया।
मुरादाबाद में यूपी बोर्ड के रिजल्ट में मेधावियों की मेरिट सूची में शामिल सभी छात्र-छात्राओं के इस बार वित्तविहीन विद्यालयों से होने की स्थिति सामने आई है। इंटर के परीक्षा परिणाम की टॉप टेन मेरिट लिस्ट में तो इस बार कांठ के एमडी इंटर कॉलेज पट्टी मौढ़ा ने ही अपना दबदबा बनाया है। जिले की टॉप टेन मेरिट लिस्ट में नौ मेधावी इसी विद्यालय के हैं, जबकि, दसवें नंबर पर सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज की एक छात्रा शामिल हुई है। कुछ साल से मुरादाबाद की जिला टॉप टेन सूची में राजकीय व शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या लगातार घटती जा रही थी इस साल के रिजल्ट में इन विद्यालयों का मेरिट लिस्ट में खाता ही नहीं खुल सका।
सही नीति-नीयत के दम से सफलता का परचम: मदन सिंह
जिस वित्तविहीन विद्यालय के छात्रों ने जिले में यूपी बोर्ड के रिजल्ट की टॉप टेन मेरिट में अपना वर्चस्व स्थापित कराया उस एमडी इंटर कॉलेज पट्टी मौढ़ा कांठ के प्रधानाचार्य मदन सिंह ने कहा कि शासन से कोई सहायता नहीं मिलने के बावजूद छात्रों को पठन पाठन का उत्कृष्ट वातावरण देने के लिए सही नीति और नीयत पर फोकस किया। विद्यालय में फीस से प्राप्त होने वाले धन का 85 फीसदी खर्च शिक्षकों के वेतन पर किया जा रहा है। अच्छे वेतन के साथ पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है। कोरोना काल में भी सभी शिक्षकों को पूरा वेतन मिला। शिक्षक छात्रों पर पूरी मेहनत कर रहे हैं। दिल्ली सहित देश के कई शीर्ष शिक्षा संस्थानों में हमारे विद्यालय के कई छात्र टॉपर बनकर चमके हैं।
गुजारिश: पॉलिसी में मिले वित्तविहीन विद्यालयों को तवज्जो
महानगर स्थित एक वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य हिमांशु यादव ने कहा कि सरकार की तरफ से शिक्षा से संबंधित पॉलिसी बनाने में अब तक राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों को ही ध्यान में रखा जाता रहा है जबकि, वित्तविहीन विद्यालयों की उपेक्षा की जाती रही है। यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणामों को देखते हुए सरकार से गुजारिश है कि अब वित्तविहीन विद्यालयों को भी शिक्षा से संबंधित नीति बनाने के लिए केंद्रबिंदु में रखा जाए।
हालात: घटती छात्र संख्या खोल रही सरकारी स्कूलों की पोल
किसी जमाने में जीआईसी में दाखिला होना एक बड़े गौरव की बात हुआ करती थी, लेकिन अब जीआईसी समेत अधिकतर राजकीय और शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में छात्र संख्या तेजी से घट रही है। जबकि वित्तविहीन विद्यालयों में यह बढ़ रही है। यह स्थिति तब है जब वित्तविहीन विद्यालयों में पढ़ाई की फीस राजकीय व सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों से काफी अधिक है। माना जा रहा है कि पठन पाठन का स्तर बेहतर होने के चलते ही अभिभावक अब अपने बच्चों का दाखिला राजकीय या एडेड स्कूलों के बजाय अपेक्षाकृत अधिक फीस चुकाकर वित्तविहीन स्कूल में ही कराने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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