UPHESC : यूपी में 16 साल में भी पूरी नहीं सकी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती, हर चरण पर विवाद
यूपी के सहायता प्राप्त कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की एक ऐसी भर्ती भी है जो 16 सालों में पूरी नहीं हो सकी है। भर्ती के हर चरण पर विवाद के कारण कानूनी लड़ाई के जल्द समाधान के आसार भी नहीं दिख रहे।
उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की एक ऐसी भर्ती भी है जो 16 सालों में पूरी नहीं हो सकी है। भर्ती के हर चरण पर विवाद के कारण डेढ़ दशक से चली आ रही कानूनी लड़ाई के जल्द समाधान के आसार भी नहीं दिख रहे क्योंकि चार जनवरी को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के नियुक्ति देने के आदेश को डबल बेंच में चुनौती देने की तैयारी चल रही है। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने 2008 में विज्ञापन संख्या 42 के तहत 34 विषयों में कुल 337 पदों के सापेक्ष भर्ती शुरू की थी। जिसमें से उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने 21 विषयों में 184 अभ्यर्थियों का अंतिम रूप से चयन किया। जिसके बाद निदेशक उच्च शिक्षा ने 130 अभ्यर्थियों को भी दे दी। हालांकि इसी बीच अगस्त 2010 में हाईकोर्ट से स्थगन आदेश आने के चलते लगभग 54 चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति अधर में लटक गई।
यही नहीं शेष बचे 13 विषयों के 140 से अधिक पदों के सापेक्ष साक्षात्कार आज तक नहीं कराया जा सका है। कानूनी विवाद के कारण ही 14 साल पहले पदस्थापित 130 असिस्टेंट प्रोफेसरों का अब तक स्थायीकरण भी नहीं हो सका है। हाईकोर्ट से आदेश के आने के बावजूद ये 54 चयनित अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। हाईकोर्ट ने चार जनवरी को आदेश दिया कि ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति देकर 29 फरवरी तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें। लेकिन इस आदेश के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील करने की तैयारी है।
क्या है विवाद
बसपा सरकार में 2008 में जारी हुआ यह पूरा विज्ञापन ही दोषपूर्ण था। उस समय राज्य को एक कैडर मानकर असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त सभी पदों को जोड़ते हुए भर्ती निकाल दी गई थी। सभी पद ओबीसी, एससी व एसटी के लिए आरक्षित थे। इसी के खिलाफ याचिकाएं हुई थी लेकिन आज तक विवाद हल नहीं हो सका है।
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