Hindi Newsकरियर न्यूज़UPHESC: Environmental science out of new recruitment competitive student upset

UPHESC: नई भर्ती से पर्यावरण विज्ञान बाहर, प्रतियोगी छात्र परेशान

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 2016 पदों पर प्रस्तावित भर्ती से पर्यावरण विज्ञान विषय बाहर करने से बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र परेशान हैं। इस विषय के...

Anuradha Pandey वरिष्ठ संवाददाता, प्रयागराज Mon, 25 Jan 2021 11:01 AM
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प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 2016 पदों पर प्रस्तावित भर्ती से पर्यावरण विज्ञान विषय बाहर करने से बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र परेशान हैं। इस विषय के अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की सचिव, अध्यक्ष से लेकर राज्यपाल तक से गुहार लगाई है कि पर्यावरण विज्ञान को या तो एकल विषय के रूप में मान्यता दें या वनस्पति विज्ञान/वनस्पति शास्त्र (बॉटनी) तथा जन्तु विज्ञान/जन्तु शास्त्र (जुलॉजी) के संबंधित या सह विषय के रूप में स्वीकृति प्रदान करें।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विषय के छात्र विक्रम गौरव सिंह का कहना है कि विश्वविद्याय अनुदान आयोग ने पर्यावरण विज्ञान विषय को एकल विषय के रूप में वर्षों पहले मान्यता दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्नातक स्तर पर छह माह का पर्यावरण विज्ञान का अध्ययन कराने को कहा था। 16 दिसंबर 2015 को तत्कालीन राज्यपाल ने माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार व राजस्थान आदि राज्यों की भर्तियों में पर्यावरण विज्ञान विषय एकल या सह विषय के रूप में शामिल है। 
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सहायक वन संरक्षक/क्षेत्रीय वन अधिकारी सेवा परीक्षा 2020 में पर्यावरण विज्ञान के अभ्यर्थियों को आवेदन का अवसर दिया है। लेकिन इसके बावजूद असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में इस पद का अधियाचन नहीं मंगाया गया है। इससे इस विषय के हजारों छात्र-छात्राओं का नुकसान हो रहा है क्योंकि इसकी पढ़ाई सभी विश्वविद्यालयों में कराई जा रही है।

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