Hindi Newsकरियर न्यूज़UPESSC- UPSESSB: No rules in the new commission tgt pgt teachers reinstatement stuck

UPESSC, UPSESSB : नए आयोग में नियम नहीं, फंसी शिक्षकों की बहाली

शिक्षकों की भर्ती व अन्य मामलों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने नई संस्था उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन किया है, लेकिन भर्ती प्रक्रिया को लेकर नियम तय न होने से सालों से लंबित शिक्षक भर्तियां

Alakha Ram Singh संजोग मिश्र, प्रयागराजSun, 7 April 2024 07:27 AM
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UPSESSB, UPESSC Recruitment : नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 63 हजार शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के दंड प्रकरणों के अनुमोदन या अनानुमोदन की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण सालों से लंबित चल रही शिक्षकों की बहाली फंस गई है। नया आयोग अस्तित्व में आने के बाद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में लंबित मामले अब जिला विद्यालय निरीक्षकों को वापस भेजे जा रहे हैं।

चयन बोर्ड के उपसचिव नवल किशोर की ओर से दो अप्रैल को बरेली के डीआईओएस को ऐसा ही एक मामला भेजा गया। राष्ट्रीय कृषि एवं उद्योग इंटर कॉलेज सिरौली बरेली के सहायक अध्यापक अनूप कुमार मिश्र के दंड से संबंधित प्रकरण 31 दिसंबर 2015 को चयन बोर्ड को भेजा गया था। दंड समिति ने 11 जनवरी 2022 को व्यक्तिगत सुनवाई सुनिश्चित की जिसमें शिक्षक अनूप कुमार मिश्र तो पहुंचे लेकिन प्रबंधक अनुपस्थित रहे। इस कारण प्रकरण पर निर्णय नहीं हो सका। आठ अप्रैल 2022 को चयन बोर्ड के सभी सदस्यों और आठ अप्रैल 2023 को अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के कारण इस मामले का निपटारा नहीं हो सका। इस बीच 21 अगस्त 2023 को नए आयोग की अधिसूचना जारी हो गई। इसी के साथ माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन अधिनियम 1982 समाप्त हो गया। 1982 के अधिनियम में ही दंड प्रकरण की सुनवाई की व्यवस्था थी। उप सचिव नवल किशोर ने पत्र में लिखा है कि नए आयोग में दंड अनुमोदन/अनानुमोदन की कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है। लिहाजा मामला वापस बरेली भेजते हुए नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

सौ से अधिक मामलों में सालों बाद निर्णय नहीं
एडेड कॉलेजों के शिक्षकों-प्रधानाचार्यों के 150 से अधिक दंड प्रकरण सालों से चयन बोर्ड में लंबित हैं। इनमें से अधिकांश मामले शिक्षकों की सेवा समाप्ति के हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की नियमावली 1982 के अनुसार दंड से पहले प्रबंधकों को चयन बोर्ड से अनुमोदन लेना होता था। अब नए आयोग के गठन के साथ यह व्यवस्था समाप्त हो गई है।
 

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