उत्तर प्रदेश में जुलाई में स्कूल खोलने पर सहमति नहीं, शिक्षक जाएंगे स्कूल
स्कूल भले ही जुलाई में न खुले लेकिन शिक्षकों को स्कूल जाना होगा। ऑनलाइन पढ़ाई को और मजबूत करने और इसकी नियमित मॉनिटरिंग भी बेहतर तरीके से की जाए। वहीं 90 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों को जुलाई में स्कूल...
स्कूल भले ही जुलाई में न खुले लेकिन शिक्षकों को स्कूल जाना होगा। ऑनलाइन पढ़ाई को और मजबूत करने और इसकी नियमित मॉनिटरिंग भी बेहतर तरीके से की जाए। वहीं 90 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों को जुलाई में स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन के बाद स्कूल खोलने के लिए तैयार की जा रही नीति के लिए ये सुझाव जिला विद्यालय निरीक्षकों व संयुक्त शिक्षा निदेशकों ने दिए है।
स्कूल खोलने संबंधी नीति तय करने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने विशेष सचिव आर्यका अखौरी की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी है। इस कमेटी ने डीआईओएस और संयुक्त शिक्षा निदेशकों से सुझाव मांगे थे कि वे अभिभावकों से सुझाव एकत्रित करें। इस मुद्दे पर गुरुवार को सभी जिलों से राय ली गई तो सामने आया कि अभिभावक जुलाई में अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है।
'स्कूल के क्लासरूम से वे ऑनलाइन कक्षाएं लें शिक्षक'
वहीं इस पर भी सब सहमत दिखे कि शिक्षकों को जुलाई से स्कूल बुलाया जाए और नए प्रवेश समेत अन्य काम वे स्कूल से ही करें। वहीं ये सुझाव भी आएं कि स्कूल के क्लासरूम से वे ऑनलाइन कक्षाएं लें ताकि बच्चे ब्लैकबोर्ड टीचिंग का अनुभव कर सकें।
ऑनलाइन कक्षाओं की मॉनिटरिंग वाला एप बनाने पर विचार
संयुक्त शिक्षा निदेशक कानपुर केके गुप्ता ने जुलाई में बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए अभिभावकों को राजी करने का सुझाव दिया तो जेडी बरेली प्रदीप सिंह ने ऑनलाइन शिक्षा की मॉनिटरिंग करने पर बल देते हुए कहा कि कई नोडल अफसर जिले में बनाए जाए और वे रोज रिपोर्ट तैयार करें। एक ऐसा ऐप विकसित करने पर चर्चा हुई जिससे ऑनलाइन कक्षाओं की मॉनिटरिंग हो और फिर जवाबदेही भी तय की जाए ताकि इसे शिक्षक व बच्चे वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर न ले।
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