UP Scholarship: 1.38 लाख संस्कृत विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का इंतजार
उत्तर प्रदेश में चल रहे संस्कृत विद्यालय महाविद्यालयों के एक लाख से अधिक छात्रों को सत्र बीतने के बाद भी छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी। न शासनादेश जारी हुआ और न ही छात्रवृत्ति की राशि का निर्धारण हुआ।
प्रदेश में संचालित राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त एवं स्ववित्तपोषित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों में देववाणी का अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों को आधा सत्र बीतने के बावजूद छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी है। प्रदेश सरकार ने तकरीबन 1.38 लाख विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति के लिए फरवरी में प्रस्तुत बजट में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया था। लेकिन न तो अब तक शासनादेश जारी हो सका और न ही यह तय हो सका है कि किस कक्षा के विद्यार्थी को कितनी राशि प्रदान की जाएगी।
वर्तमान में प्रथम (कक्षा छह) से लेकर स्नातकोत्तर (आचार्य) स्तर तक की कक्षाओं में तकरीबन 1.38 लाख छात्र-छात्राएं संस्कृत की पढ़ाई कर रहे हैं। पहले प्रदेशभर में पूर्व मध्यमा के 125, उत्तर मध्यमा के 90, शास्त्रत्त्ी के 48 व आचार्य के मात्र 25 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाती थी। लेकिन संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सभी छात्र-छात्राओं को वजीफा देने का निर्णय लिया गया है।
छात्रवृत्ति बजट में हो सकती है वृद्धि
संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के लिए बजट में 10 करोड़ का प्रावधान किया गया था। सूत्रों के अनुसार सभी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने के लिए निर्धारित 10 करोड़ की राशि बढ़ाई जा सकती है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव की ओर से शासन को संस्कृत पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने के लिए 1.31 अरब का प्रस्ताव भेजा गया था। छात्रवृत्ति विद्यार्थियों की मेधा के अनुरूप देने की बात कही गई थी।
संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या
कक्षा---- छात्रसंख्या
प्रथमा (6, 7 व 8) 12696
पूर्व मध्यमा (9 व 10) 41578
उत्तर मध्यमा (11 व 12) 45307
शास्त्री (स्नातक) 16191
आचार्य (स्नातकोत्तर) 5801
प्रथमा, पूर्व व उत्तर
मध्यमा (आवासीय) 14712
शास्त्री, आचार्य व शिक्षा
शास्त्री (आवासीय) 2090
योग 1,38,375
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