यूपी पुलिस 49568 कांस्टेबल भर्ती : पीएसी के अभ्यर्थियों ने लगाया भेदभाव का आरोप
49,568 सिपाही भर्ती के पीएसी अभ्यर्थियों ने भर्ती बोर्ड पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। परिणाम घोषित होने के 6 महीने बाद भी ट्रेनिंग न कराए जाने से नाराज अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है।...
49,568 सिपाही भर्ती के पीएसी अभ्यर्थियों ने भर्ती बोर्ड पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। परिणाम घोषित होने के 6 महीने बाद भी ट्रेनिंग न कराए जाने से नाराज अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है। आरोप है कि उनकी मेरिट हाई होने के बाद भी अभी तक कॉल नहीं आई।
सिपाही भर्ती 2018 में 49,568 अभ्यर्थियों का अंतिम परिणाम मार्च 2020 में घोषित किया गया। इसके बाद कोरोना के संक्रमण को देखते हुए उनकी ट्रेनिंग और मेडिकल परीक्षण को रोक दिया गया। इस भर्ती में शामिल लगभग 18,000 पीएसी के अभ्यर्थियों का आरोप है कि यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड ने एकतरफा फैसला लेते हुए 14,000 सिविल पुलिस के अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग कराने के लिए कॉल किया है। यह भी आरोप है कि पीएसी के 600 ऐसे अभ्यर्थी हैं जिनकी रैंकिंग सिविल पुलिस के अभ्यर्थियों से ज्यादा है।
बावजूद इसके ट्रेनिंग में पीएसी के अभ्यर्थियों को ना बुलाकर सिविल के अभ्यर्थियों को पहले बुलाया गया। इस तरह ट्रेनिंग के लिए उन्हें 6 महीने और इंतजार करना पड़ सकता है। अभ्यर्थियों का यह भी तर्क है कि अब देश में सभी जगहों पर हर तरह की परीक्षाओं का आयोजन होने लगा है। ऐसे में अब भर्ती बोर्ड कोविड-19 के संक्रमण के खतरे का तर्क भी नहीं दे सकती। 2015 में ही एक साथ 35,000 अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग कराई गई थी। इसलिए समय रहते उनकी भी ट्रेनिंग कराई जाए।
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