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UP PCS J result 2018: न्यायिक सेवा परीक्षा में छाए लखनऊ के होनहार, जानें इनके सक्सेस मंत्र

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की न्यायिक सेवा सिविल जज प्रारम्भिक परीक्षा-2018 के नतीजों में राजधानी के होनहारों का जलवा रहा है।  एक-दो नहीं बल्कि आठ से ज्यादा होनहारों ने इस परीक्षा में सफलता...

वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। Sun, 21 July 2019 02:10 PM
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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की न्यायिक सेवा सिविल जज प्रारम्भिक परीक्षा-2018 के नतीजों में राजधानी के होनहारों का जलवा रहा है।  एक-दो नहीं बल्कि आठ से ज्यादा होनहारों ने इस परीक्षा में सफलता हासिल कर राजधानी का मान बढ़ाया है। ऐश्वर्या चन्द्र ने 32 वीं रैंक,  शिप्रा दुबे ने 42 वीं रैंक, अक्षिता मिश्रा ने 46वीं रैंक, बुशरा नूर ने 129वीं रैंक, अंजिता सिंह चौहान  ने 195 वीं रैंक,  नैंसी तिवारी ने 206वीं  रैंक, सिद्धार्थ गौतम ने 332वीं रैंक,सोनम शर्मा ने 338वीं रैंक व चारू नंद गुप्ता ने 436 वीं रैंक हासिल की है। इसके अलावा, कई अन्य नाम भी इस सूची में शामिल हैं। आपके अपने प्रिय अखबार ‘हिन्दुस्तान’ से शनिवार को इन होनहारों ने अपने अनुभव और सफलता के राज साझा किए। पेश है एक रिपोर्ट...।

1 अंक से चूकी तो लगा सफलता मिल सकती है
2016 में लॉ कॉलेज देहरादून से एलएलबी की पढ़ाई की। पढ़ाई दौरान तैयारी शुरू कर दी। 5वें वर्ष में पहली बार परीक्षा दी। एक नम्बर से मेन में चूक गई। तब लगा कि सफलता मिल सकती है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रमोद तिवारी ने सलाह दी। पापा श्याम मोहन श्रीवास्तव की राशन वितरण की दुकान थी। मम्मी मीनाक्षी श्रीवास्तव गृहणी हैं। उन्होंने कभी नौकरी करने के लिए जोर नहीं दिया। लॉ याद किया। बुक्स पढ़ी पर कोचिंग नहीं की। ऐश्वर्या : 32वीं रैंक 

आठ घंटे की नियमित पढ़ाई
2018 में चाणक्य नेशनल लॉ विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान ही न्यायिक सेवा में जाने का लक्ष्य बना लिया था। 5वें वर्ष से ही पढ़ाई शुरू कर दी। सेल्फ स्टडी पर जोर दिया। ज्यादा पढ़ने के बजाए गुणवत्ता पर जोर रहा। प्री के साथ ही मेन की भी तैयारी की। आठ घंटे पढ़ते थे।  पहले ही प्रयास में यह सफलता प्राप्त हुई।
अक्षिता मिश्रा : 46 रैंक वीं 


योजनाबद्ध तरीके से नियमित पढ़ाई
वर्ष 2018 में लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। पहले प्रयास में यह सफलता मिली है। इस सफलता का खाद्य विभाग में अधिकारी पिता विनोद गुप्ता और माता सुमन गुप्ता गृहणी हैं। दोस्तों की मदद मिली है। कभी रटने पर जोर नहीं दिया। हमेशा समझने पर ज्यादा ध्यान दिया। कई-कई घंटे की जगह योजनाबद्ध तारीके से गुणवत्तापरक पढ़ाई की। हमने पढ़ाई के साथ-साथ पीजीएस-जे की तैयारी शुरू कर दी थी।

मनीषा गुप्ता :  रैक 166 वीं 


पापा ने छुट्टी लेकर कराई थी तैयारी
पढ़ाई के दौरान कोचिंग नहीं की। घर पर ही रहकर तैयारी की। सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। तैयारी के दौरान पापा ने काफी मदद की। प्री का रिजल्ट आने के बाद पापा ने 25 दिन छुट्टी लेकर पढ़ाया। सबसे ज्यादा फोकस जीएस पर किया। लोकल लॉ में थोड़ी दिक्कत थी, उसे पापा की मदद से तैयार किया। तीन से चार घंटे पढ़ाई की। पापा की मेहनत से मुझे यह सफलता मिली। पापा एसडी मौर्या लखनऊ विश्वविद्यालय से वित्त अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

प्रशांत मौर्य : 175 वीं रैंक

पापा का सपना था, पूरा तो करना था
पापा ने एक बार कहा था। बस उसी दिन तय कर लिया कि न्यायिक सेवा में जाना है। 2015 में पीएचडी के दौरान ही कानपुर यूनिवर्सिटी में नौकरी भी तय हो गई। थोड़ी दी और तैयारी में जुट गई। 2016 में पहला प्रयास किया लेकिन असफल रहा। हिम्मत नहीं हारी। नतीजा आपके सामने है। सुझाव सिर्फ यह है कि अपना लक्ष्य तय करें। चाहें जितनी मुश्किल आएं। पिता मोहित सिंह ब्लॉक प्रमुख हैं।  

अंजिता सिंह चौहान : 195 वीं रैंक

 

परीक्षा पैटर्न को समझकर बनाए नोट्स
2017 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। 5वीं वर्ष में ही न्यायिक सेवा के लिए मन बना लिया था। सेल्फ स्टडी का रास्ता अपनाया। पिछले कई वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन कर परीक्षा के पैटर्न को समझा। उसके आधार पर अपने नोट्स बनाकर तैयारी की। पिता अनुराग तिवारी और भाई दोनों ही पेशे से वकील हैं।

नैन्सी तिवारी : 206 वीं रैंक

बेयर एक्ट और लोकल लॉ पर दिया जोर

 
वर्ष 2015 में चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की। पहला प्रयास 2015-16 में किया। सफलता नहीं मिली। लेकिन, कमी समझ में आ गई। तरीका बदल दिया। बेयर एक्ट पर फोकस किया। एक-एक सेक्शन को जोर दिया। पिछले वर्ष के पेपर का आंकलन किया। समय कम था तो लोकल लॉ पर काफी ध्यान दिया।

 समृद्धि मिश्र, 222 वीं रैंक 

सेल्फ स्टडी व दोस्तों की राय ने दिलाई सफलता

वर्ष 2012 में एलएलबी की। 2014 में एलएलएम। 2015 में  एपीओ के पद पर सीतापुर में तैनाती मिली। 2014 में तैयारी शुरू की। कोचिंग नहीं की। सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। इस दौरान कोचिंग करने वाले दोस्तों का राय बेहद काफी आई। सिलेबस और पुराने पेपर पर ध्यान दिया। दूसरे प्रयास में सफलता पाई। पिता गया प्रसाद भारतीय खाद्य निगम से सेवानिवृत्त हैं।

सिद्धार्थ कुमार गौतम  : 352 वीं रैंक

पहले प्रयास में पाई सफलता
लाप्लास निवासी वरिष्ठ पत्रकार श्याम बाबू की पुत्री व दूरदर्शन के झांसी संवाददाता विकास शर्मा की छोटी बहन सोनम शर्मा ने 338 वीं रैंक हासिल की। पहले ही प्रयास में यह सफलता मिली है। झांसी के सेंट फ्रांसिस से 12वीं  के बाद लोहिया लॉ कॉलेज में दाखिला लिया। अपनी मेहनत के बल पर पहले ही प्रयास में यह सफलता हासिल की।

सोनम शर्मा  :  338 वीं रैंक

नियमित अभ्यास के बिना सफलता नहीं

न्यायिक सेवा की तैयारी के लिए जरूरी है कि नियमित अभ्यास किया जाए। तैयारी शुरू करने से पहले पिछले वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी पूरी करते समय ही लक्ष्य बना लिया था। खुद के नोट्स तैयार किए। नियमित रूप से अभ्यास किया।

- अर्पिता सिंह, 170 रैंक

पहले अटेंप्ट में ही मिली सफलताः गंधर्व

गोण्डा। शनिवार को पीसीएस जे के परीक्षा परिणाम घोषित हुए हैं। इस परिणाम में जिले गंधर्व पटेल को पांचवां स्थान हासिल हुआ है। गंधर्व ने अपने पहले प्रयास में ही सफलता प्राप्त की है। उनकी पांचवीं रैंक आई है।

जिले घारीघाट मनकापुर निवासी गंधर्व ने बताया कि पिछले साल 2018 में ही लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद पीसीएस जे की परीक्षा में शामिल हुए। उन्होंने इंटर तक की शिक्षा फातिमा स्कूल गोण्डा से कई थी। साल 2013 में इंटर की परीक्षा पास करके पांच साल के एलएलबी के कोर्स के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिल हुए। अपनी सफलता के पीछे का कारण उन्होंने पिता जी के विश्वास और माता के आशीर्वाद को बताया है। गंधर्व के पिता बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। गंधर्व ने कहा कि बचपन से ही उनकी रूचि कानून की पढ़ाई की तरफ ही थी इसलिए इस क्षेत्र को चुना।

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