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JEE Advanced : एक साल खेती करते हैं और 2 साल मजदूरी, बेटा अब IIT में पढ़ेगा

हमीरपुर के धनपुरा में रहने वाले धीरज ने धीरज ने जेईई एडवांस्ड ( JEE Advanced ) में 2968 कैटेगरी रैंक प्राप्त की है। धीरज के पिता चुनटाई कुशवाहा किसान हैं और मां लक्ष्मी गृहिणी हैं।

Pankaj Vijay हिन्दुस्तान, कानपुरTue, 11 June 2024 08:02 AM
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एक साल खेती की और दो साल मजदूरी की। तब कानपुर के चुनटाई कुशवाहा के परिवार को दो वक्त की रोटी नसीब होती है। अब चुनटाई के दिन बहुरने वाले हैं। क्योंकि बेटा धीरज आईआईटीयन बनने जा रहा है। हमीरपुर के धनपुरा में रहने वाले धीरज ने धीरज ने जेईई एडवांस्ड ( JEE Advanced ) में 2968 कैटेगरी रैंक प्राप्त की है। धीरज को यह सफलता मेहनत और गेल उत्कर्ष की मदद से मिली है। धीरज के पिता चुनटाई कुशवाहा किसान हैं और मां लक्ष्मी गृहिणी हैं। धीरज ने बताया पिता तीन भाई हैं और एक हेक्टेयर खेत हैं। तीनों भाइयों को एक-एक साल के लिए खेत मिलता है। अन्य दो साल परिवार की खर्ची के लिए मजदूरी करना पड़ता है। धीरज ने घाटमपुर के अनुभव इंटर कॉलेज से 90.6 फीसदी अंक के साथ 12वीं पास किया है। धीरज ने बताया गांव में वह पहला इंजीनियर होगा। पिता ने पूरा जोर लगाया। कोटा पहुंचा लेकिन फीस व खर्च देख लौट आया। गेल उत्कर्ष की मदद मिली और सपना सच हो रहा है।

गेल उत्कर्ष ने बदल दी जिंदगी
मुजफ्फरनगर के राजेंद्र कुमार के परिवार की गेल उत्कर्ष ने जिंदगी ही बदल दी। राजेंद्र कुमार ने बताया वह गांव में दर्जी है। कभी सोचा नहीं था बेटा आईआईटीयन होगा। गेल उत्कर्ष से तीनों बेटे इंजीनियर बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 में बड़े बेटे मोहित कुमार का गेल उत्कर्ष में चयन हुआ था। वह एनआईटी से बीटेक कर चुका है। दूसरे बेटे रोहित ने गेल से तैयारी की और आईआईटी खड़गपुर से बीटेक कर रहा है। अब तीसरा बेटा अतुल कुमार भी आईआईटीयन बनेगा। अतुल की जेईई एडवांस्ड में 1455 कैटेगरी रैंक है। अतुल ने शिशु शिक्षा निकेतन से 77 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं।

ओम व आराध्य ने रचा इतिहास
ओम साहू व आराध्य सिंह ने जेईई एडवांस्ड में इतिहास रचा है। ओम साहू ने आल इंडिया 687 रैंक। आराध्य सिंह ने आल इंडिया 1201 और कैटेगरी रैंक 103 प्राप्त की है। नवोदय से 12वीं के बाद ओम ने बताया गेल उत्कर्ष ने सपना संवार दिया। वहीं, शाहजहांपुर के कनेंग के आराध्य के पिता राकेश सिंह अधिवक्ता हैं। आराध्य ने बताया आर्थिक तंगी से कोचिंग मुश्किल थी। गेल उत्कर्ष से यह सफलता मिली है।

यू-ट्यूब ने बदल दी किस्मत
मऊ के लैरोबेरुवार के रहने वाले निखिल कुमार की किस्मत यूट्यूब के एक वीडियो से बदल गई है। निखिल ने बताया डीएवी इंटर कॉलेज से 12वीं में78 फीसदी अंकों से उत्तीर्ण की थी। रोज साइकिल से 20 किमी इंटर तक की पढ़ाई की। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। घर बैठे मोबाइल पर वीडियो देख रहा था। एक दिन यूट्यूब पर गेल उत्कर्ष का वीडियो देखा। तैयारी की, चयन हुआ और जेईई एडवांस्ड में 3845 कैटेगरी रैंक प्राप्त की है। निखिल के पिता साहब राव किसान हैं और मां अर्चना देवी आंगनबाड़ी कार्यकत्री। पिता के पांच भाई हैं, जिनके बीच दो बीघा खेत हैं। परिवार को दो वक्त की रोटी मिलती है।

1155 परिवारों की बदली किस्मत
गेल इंडिया लिमिटेड ने 2009 में गेल उत्कर्ष की शुरुआत की। डायरेक्टर आपरेशनल सीएसआर, गेल कृष्णमूर्ति सिंह ने बताया यूपी और एमपी के ग्रामीण इलाकों से 100 प्रतिभाओं का चयन करते हैं। 11 माह निशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान करते हैं। 1155 छात्रों का जीवन बदल चुका है। इसमें 403 छात्र आईआईटी, 537 छात्र एनआईटी और 215 छात्र अन्य राज्य इंजीनियरिंग कॉलेजों से में पढ़ाई या जॉब कर रहे हैं। कैम्पस में ही अनंत अग्निहोत्री फिजिक्स, देवेश दीक्षित केमिस्ट्री और राघवेंद्र शुक्ल गणित पढ़ाते हैं। चीफ मैनेजर गेल उत्कर्ष देवेंद्र शर्मा ने बताया कानपुर के अलावा वाराणसी और हल्दवानी में सेंटर चल रहा है।

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