यूपी बोर्ड के स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई अनिवार्य करने के विरोध में उतरे शिक्षक
लॉकडाउन के दौरान यूपी बोर्ड के स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई अनिवार्य करने से शिक्षक विरोध पर उतर आए हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक आरएन विश्वकर्मा ने आदेश जारी किया है कि जिन अध्यापक-अध्यापिका ने व्हाट्सएप...
लॉकडाउन के दौरान यूपी बोर्ड के स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई अनिवार्य करने से शिक्षक विरोध पर उतर आए हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक आरएन विश्वकर्मा ने आदेश जारी किया है कि जिन अध्यापक-अध्यापिका ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना नहीं शुरू किया, उनके विरुद्ध चरित्र पंजिका में विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि अंकित की जाएगी। साथ ही प्रबंधक से अनुरोध कर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।
डीआईओएस ने सभी प्रधानाचार्यों को 21 अप्रैल को पत्र लिखकर 20 अप्रैल से शत-प्रतिशत छात्रों को व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ते हुए अध्यापन कराने के निर्देश दिए थे। साथ ही ऐसा न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। इसके विरोध में शिक्षक नेताओं का कहना है कि कई उम्रदराज शिक्षक ऐसे हैं जिनके पास मोबाइल ही नहीं हैं।
कई शिक्षक स्मार्टफोन नहीं रखते, ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई की बात उचित नहीं है। क्योंकि उनकी नियुक्ति ऑनलाइन शिक्षण के लिए नहीं हुई थी और न ही उनकी सेवा शर्तों में इसका प्रावधान है। गौरतलब है कि ऑनलाइन शिक्षण के पहले दिन 20 अप्रैल को ही 1969 स्कूलों में से 828 में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई थी। पहले दिन माध्यमिक स्कूलों के 101555 छात्र-छात्राएं इससे लाभान्वित हुए थे।
आरएन विश्वकर्मा (डीआईओएस) ने कहा- जिन शिक्षकों ने कभी स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं किया तो वह सामान्य फोन से बात करके बच्चों तक पहुंच सकते हैं। अपने सहयोगियों की सहायता से प्रेरित कर सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षण ऐच्छिक नहीं, अब अनिवार्य है।
सुरेश कुमार त्रिपाठी (शिक्षक विधायक) ने कहा- वर्तमान हालात में शिक्षक पूरी गंभीरता से जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। अधिकांश शिक्षक स्वयं रुचि लेते हुए वर्चुअल क्लास ले रहे हैं। ऐसे में इस प्रकार का आदेश स्वीकार्य नहीं हैं। शिक्षकों को धमकी देना उचित नहीं है। अन्यथा लॉकडाउन खुलने पर धरना-प्रदर्शन होगा।
लालमणि द्विवेदी (प्रदेश महामंत्री माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट) ने कहा- ऑनलाइन पढ़ाई के संबंध में शिक्षाधिकारी वाहवाही के लिए शासन को गलत सूचनाएं भेज रहे हैं, दूसरी ओर प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों को पत्र भेजकर शिक्षकों पर कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं। सभी शिक्षक यथासंभव प्रयास कर रहे हैं, इन परिस्थितियों में यदि किसी भी शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही की गई तो उसका कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर कोर्ट का भी सहारा लेंगे।
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